नई दिल्ली: सरकार ने मोबाइल फोन के पुर्जों तथा चार्जर पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है. स्थानीय मूल्यवर्धन को बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. इससे मोबाइल फोन महंगे हो सकते हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश करते हुए सीमा शुल्कों में 400 रियायतों की समीक्षा की घोषणा की. इनमें मोबाइल उपकरण खंड भी शामिल है.
सीतारमण ने कहा, ‘देश में ही मूल्यवर्धन (विनिर्माण) को बढ़ाने के लिए हम मोबाइल चार्जर के कुछ हिस्सों और मोबाइल फोन के कुछ सहायक पुर्जों पर छूट को वापस ले रहे हैं. इसके अलावा मोबाइल के कुछ पुर्जों पर आयात शुल्क शून्य की जगह 2.5 प्रतिशत हो जाएगा.’
उन्होंन कहा कि सीमा शुल्क नीति का दोहरा उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देना और भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला से जोड़ना तथा निर्यात को बेहतर करना होना चाहिए.
सीतारमण ने कहा, ‘अब हमारा जोर कच्चे माल तक आसान पहुंच तथा मूल्यवर्धन का निर्यात है.’
सरकार ने प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली (पीसीबीए) यानी मदरबोर्ड, कैमरा मॉड्यूल, कनेक्टर, लिथियम आयन बैटरी के विनिर्माण में काम आने वाले कलपुर्जों तथा उप-पुर्जों तथा बैटरी पैक पर एक अप्रैल से सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है.
वित्त मंत्री ने मोबाइल चार्जरों में इस्तेमाल होने कलपुर्जों पर शुल्क छूट वापस लेने की घोषणा की है. इनपर दो फरवरी से 10 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा.
काउंटरपॉइंट रिसर्च के एसोसिएट निदेशक तरुण पाठक ने कहा कि इससे थोड़े समय के लिए कीमतों में वृद्धि हो सकती है. इनमें से ज्यादातर उप-कलपुर्जों के स्थानीय आपूर्तिकर्ता मौजूद हैं.
इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के चेयरमैन पंकज महेंद्रू ने कहा कि मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को शुल्क छूट हटाने से बचाया जाना चाहिए थे.
महेंद्रू ने कहा कि शून्य सीमा शुल्क का मतलब शून्य कराधान से नहीं है. इनपर 18 प्रतिशत का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता है. उन्होंने कहा कि यह वृद्धि उद्योग के साथ हुए विचार-विमर्श के उलट है.
उन्होंने कहा कि चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) ठीक से काम नहीं कर रहा है और निर्यात भी कमजोर है. इसी वजह से सरकार को उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) की योजना लानी पड़ी है.
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