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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशअर्थजगतअगर बैंक पर मोरेटोरियम लगता है तो उसके जमाकर्ताओं को 90 दिन में मिल सकता है बीमे का पैसा

अगर बैंक पर मोरेटोरियम लगता है तो उसके जमाकर्ताओं को 90 दिन में मिल सकता है बीमे का पैसा

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ऐसे बदलाव करने का फैसला किया है, जिनके तहत ऐसे जमाकर्त्ताओं को सहायता मिलेगी, जिनके बैंकों पर RBI मोरेटोरियम लगा देता है.

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नई दिल्ली: एक ऐसे क़दम के तहत जिससे आम लोगों को भारी राहत मिलेगी, जिन बैंकों पर मोरेटोरियम यानी प्रतिबंध लगाया जाता है उनके जमाकर्ता 90 दिन के अंदर 5 लाख रुपए तक की जमा बीमा राशि प्राप्त कर पाएंगे और उन्हें अंतिम समाधान तक इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा.

इस निर्णय का लक्ष्य ऐसे जमाकर्ताओं की मुसीबतों को कम करना है, जो उनके बैंक पर भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की ओर से लगाए गए मोरेटोरियम की स्थिति में अपनी जमा राशि नहीं निकाल पाते. ऐसा इसलिए होता है कि जमाकर्ताओं को बैंक समाधान होने, या उसके दिवालिया होने तक लंबा इंतज़ार करना पड़ता है.

पिछले कुछ सालों में पीएमसी जैसे बैंकों के डूबने, और उसके नतीजे में जमाकर्ताओं को पेश आईं परेशानियों को देखते हुए, मौजूदा क़ानूनों पर पुनर्विचार शुरू हुआ था ताकि उन्हें जमाकर्ताओं के अनुकूल बनाया जा सके.

बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम अधिनियम में संशोधनों को मंज़ूरी दे दी, और उन्हें संसद के चालू सत्र में पेश किया जाएगा.


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‘कोई प्रतीक्षा नहीं’

कैबिनेट की बैठक के बाद एक प्रेसवार्ता में बात करते हुए, केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इन बदलावों के बाद, जमाकर्ता अपनी जमा राशि को जल्दी निकाल पाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘अंतिम परिसमापन या अंतिम समाधान के लिए भी कोई इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा’.

ये बदलाव भारत में काम कर रहे सभी बैंकों पर लागू होंगे, जिनमें कॉमर्शियल बैंक्स, स्थानीय ग्रामीण बैंक तथा सहकारी बैंक शामिल हैं.

पिछले साल, सरकार ने जमा बीमा राशि की सीमा को बढ़ाकर, 1 लाख से 5 लाख भी कर दिया था. सरकार का अनुमान है कि ये सीमा बढ़ाए जाने के बाद, 98 प्रतिशत से अधिक जमाकर्ता जमा बीमा की कवरेज में आते हैं.

सीतारमण ने इस ओर ध्यान आकर्षित किया कि पहले जमाकर्ताओं को अपनी बीमा राशि दिवालियापन के 8-10 साल बाद या बैंक के अधिग्रहण की सूरत में 3-4 साल बाद मिल पाती थी.

उन्होंने कहा, ‘भले ही किसी बैंक पर प्रतिबंध हो, जिसका मतलब है कि सब चीज़ें रुक जाती हैं और जमाकर्ता अपने खातों से रक़म नहीं निकाल पाते, तो ऐसी स्थिति में भी वो अपनी बीमा राशि प्राप्त कर पाएंगे’.

इस साल अपने बजट भाषण में, सीतारमण ने घोषणा की थी कि सरकार डीआईसीजीसी एक्ट 1961 में संशोधन के लिए क़दम उठाएगी, ‘ताकि यदि कोई बैंक अस्थाई रूप से अपने दायित्व का निर्वहन करने में असमर्थ है, तो ऐसे बैंक के जमाकर्ता जमा बीमा कवर की सीमा तक, आसानी से और समय रहते अपनी जमा राशि निकाल सकते हैं. इससे उन बैंकों के जमाकर्ताओं को फायदा होगा, जो फिलहाल दबाव में हैं’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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