नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) कंपनी सचिवों के शीर्ष संगठन आईसीएसआई ने अपने सदस्यों को लेखाकार के रूप में मान्यता देने की अपनी मांग दोहरायी है। संस्थान ने सरकार से इसके लिए कराधान कानूनों में व्यापक बदलाव करने का बृहस्पतिवार को आग्रह किया।
संसदीय प्रवर समिति के आयकर विधेयक में ‘लेखाकार’ की परिभाषा में शामिल करने के लिए इस संस्था के अनुरोध पर विचार नहीं करने के बाद भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) ने यह टिप्पणी की है।
संसद के अधिनियम के तहत स्थापित आईसीएसआई ने बयान में कहा कि वह कंपनी सचिव पेशे को ‘लेखाकार’ की परिभाषा के अंतर्गत मान्यता देने की वकालत करता रहेगा। साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि कंपनी सचिवों की भूमिका व अवसरों को नीति-निर्माण प्रक्रियाओं में प्रभावी रूप से शामिल किया जाए।
बयान के अनुसार, विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए समग्र नीति समीक्षा की आवश्यकता है। साथ ही सरकार को समावेशी व भविष्य के लिए तैयार सुधारों पर स्पष्ट ध्यान केंद्रित करते हुए कराधान कानूनों में व्यापक बदलाव करना चाहिए।
आयकर विधेयक 2025, 13 फरवरी को संसद में पेश किया गया था। बाद में इसे समिति के पास भेजा गया जिसने 21 जुलाई को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
प्रवर समिति ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कंपनी सचिव के पेशे को ‘लेखाकार’ की परिभाषा में शामिल नहीं करने की बात कही है। इस निर्णय का मुख्य कारण यह है कि आयकर विधेयक 2025 का मसौदा आयकर अधिनियम 1961 के प्रावधानों को सरल बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
बयान में कहा गया, ‘‘ आईसीएसआई द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन नीतिगत बदलाव की प्रकृति की हैं, जो आयकर विधेयक 2025 के उद्देश्यों के दायरे से बाहर हैं।’’
भाषा निहारिका रमण
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