अहमदाबाद, 22 जून (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहन, सहायता का त्वरित वितरण और 35,000 करोड़ रुपये से अधिक के नए निवेश को आकर्षित करके आयात निर्भरता को कम करना गुजरात इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा विनिर्माण नीति-2025 की प्रमुख विशेषताओं में से हैं।
इस नीति का उद्देश्य गुजरात को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र में बदलना है, जिसका अनावरण रविवार को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने किया।
नीति में कहा गया है कि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मेइटी) द्वारा अनुमोदित और समर्थित परियोजनाएं गुजरात में स्थापित होने पर 100 प्रतिशत केंद्रीय सहायता के लिए पात्र होंगी।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्रालय द्वारा अनुमोदित परियोजनाओं को एक ही अनुमोदन के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार दोनों से प्रोत्साहन प्राप्त होगा और प्रोत्साहन सहायता 30 दिनों के भीतर वितरित की जाएगी।
इसमें कहा गया, “इसका मतलब यह है कि राज्य में स्थापित मेइटी-अनुमोदित परियोजनाओं को केंद्र और गुजरात सरकारों से दोहरा प्रोत्साहन लाभ मिलेगा।”
केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना (ईसीएमएस) के अनुरूप, यह नीति ‘केंद्रीय सहायता पर 100 प्रतिशत टॉप-अप सुनिश्चित करती है, साथ ही सहायता का समय पर वितरण सुनिश्चित करती है।’
बयान में कहा गया है, “जब कोई परियोजना ईसीएमएस के तहत मेइटी से स्वीकृत हो जाती है, तो वह गुजरात में भी उसी अनुदान सहायता के लिए स्वतः ही पात्र हो जाएगी। राज्य सरकार केंद्र द्वारा सहायता जारी करने के 30 दिनों के भीतर अपनी प्रोत्साहन राशि वितरित करेगी।”
नीति का उद्देश्य आयात पर निर्भरता को कम करना और 35,000 करोड़ रुपये से अधिक के नए निवेश को आकर्षित करके तकनीकी मजबूती में सुधार करना है।
इसका उद्देश्य राज्य के इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा विनिर्माण क्षेत्र में पर्याप्त उच्च-कुशल रोजगार के अवसर पैदा करना है।
नीति से बहु-परतीय और एचडीआई प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, लिथियम-आयन सेल, एसएमडी पैसिव कंपोनेंट, डिस्प्ले और कैमरा मॉड्यूल, इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जा और उनके उत्पादन के लिए अतिरिक्त मशीनरी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय
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