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Monday, 17 November, 2025
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बीते सप्ताह मांग बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन, सट्टेबाजी से पाम-पामोलीन में सुधार

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नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर (भाषा) बीते सप्ताह तेल-तिलहन बाजार में मांग बढ़ने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन तथा संभावित सट्टेबाजी की वजह से दाम ऊंचा लगाये जाने के कारण पाम-पामोलीन के दाम में मजबूती रही। वही, ऊंचा दाम होने से मांग प्रभावित रहने के कारण सरसों तेल-तिलहन, डी-आयल्ड केक (डीओसी) की निर्यात मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तिलहन तथा आवक बढ़ने के बीच बिनौला तेल के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। त्योहारी मांग के कारण सोयाबीन दिल्ली तेल के दाम में मामूली सुधार आया।

बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह सरसों के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। सरसों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक चल रहे हैं। सरकार के अलावा स्टॉकिस्ट और किसानों के पास भी सरसों का स्टॉक है। सरसों का दाम ऊंचा रहने की वजह से इस त्योहारी मौसम में भी मांग अपेक्षा के अनुकूल नहीं दिख रही। इस मौसम के दौरान वैसे भी देश में रिफाइंड तेल की मांग कहीं अधिक रहती है। मांग प्रभावित होने से बीते सप्ताह सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई।

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में नई तिलहन फसल के बढ़े हुए एमएसपी लागू हो चुके हैं लेकिन इसके बावजूद विशेषकर सूरजमुखी, सोयाबीन, मूंगफली, कपास (से निकलने वाले बिनौला तिलहन) आदि फसलों के हाजिर दाम एमएसपी से काफी नीचे चल रहे हैं। विशेषकर सोयाबीन को लें, तो उससे तेल बहुत कम निकलता है बल्कि इसका असली खेल, इससे निकलने वाले लगभग 82 प्रतिशत डीओसी का होता है। अब डीओसी का देश या विदेश में बाजार होगा, डीओसी की मांग होगी तभी सोयाबीन किसानों को फायदा उठाने का मौका मिल सकता है। लेकिन डीओसी की मांग कमजोर रहने से बीते सप्ताह सोयाबीन तिलहन में गिरावट देखी गई।

उन्होंने कहा कि त्योहारों की मांग की वजह से सोयाबीन दिल्ली तेल के दाम में मामूली सुधार रहा जबकि सोयाबीन इंदौर और आयात होने वाले सोयाबीन डीगम तेल के दाम स्थिर बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि त्योहारों के इस मौसम में अच्छी गुणवत्ता वाले मूंगफली के साथ-साथ मूंगफली तेल की मांग बढ़ी है। इस वजह से बीते सप्ताह मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सुधार आया। लेकिन वास्तविकता यह है कि मूंगफली के हाजिर दाम एमएसपी से 15-18 प्रतिशत नीचे चल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि संभावित सट्टेबाजी और बिचौलियों द्वारा तेजी का माहौल बनाने के कारण पाम-पामोलीन तेल कीमतों में अप्राकृतिक तेजी है। जबकि सचाई यह है कि जाड़े में पाम-पामोलीन की मांग घटती है, लेकिन इसके विपरीत पाम-पामोलीन जैसे ‘हेवी ऑयल’ (भारी खाद्य तेल) का दाम सोयाबीन जैसे सॉफ्ट आयल (नरम खाद्य तेल) से भी काफी ऊंचा है। दाम ऊंचा होने की वजह से बीते सप्ताह पाम-पामोलीन तेल के दाम में सुधार दिखा।

उन्होंने कहा कि मलेशिया के पास पाम-पामोलीन का स्टॉक रखने के लिए जगह की कमी जान पड़ती है लेकिन इसके बावजूद वह अपने खाद्य तेलों के विपणन के लिए तमाम हथकंडे अपना रहा है, इसके उलट अधिक खपत करने वाले हमारे देश में आयातक इस तेल को लागत से नीचे दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं। इस विषयवस्तु की ओर गहराई से ध्यान देने और इस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।

सूत्रों ने कहा कि वर्ष 1990-1991 के आसपास देश खाद्य तेल मामलों में लगभग आत्मनिर्भर हो चला था और जो थोड़ा बहुत जरुरत होती भी थी, उसका सरकार की ओर से आयात कर मांग को पूरा किया जाता था। इस दौरान खाद्य तेलों का आयात बंद था केवल सरकार जरूरत के हिसाब से आयात कर सकती थी। आयात करने के बाद सरकार कमजोर आय वर्ग के लोगों के लिए इन आयातित तेलों को राशन की दुकानों के जरिये उपलब्ध कराती थी। इस दौरान सरकार तिलहन और डीओसी के निर्यात से लगभग 2-2.5 हजार करोड़ रुपये की कमाई भी करती थी। लेकिन उसके बाद जबसे आयात निजी कारोबारियों के लिए खोला गया, देश का खाद्य तेलों का आयात खर्च बढ़कर मौजूदा समय में लगभग एक लाख 60 हजार करोड़ रुपये का हो चला है।

सूत्रों ने कहा कि निजी हाथों में आयात का कमान आते ही, यह फर्क करना मुश्किल हो गया है कौन सच्चा समीक्षक है और कौन समीक्षक की आड़ में अपने निजी हितों को साध रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले लगभग 20-22 वर्षो की ऐसी समीक्षाओं के बावजूद अंतत: देश तेल-तिलहन मामले में आयात पर पूरी तरह निर्भर होता चला गया है जो चिंताजनक है।

बीते सप्ताह सरसों दाना 25 रुपये की गिरावट के साथ 6,975-7,025 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों दादरी तेल 50 रुपये की गिरावट के साथ 14,500 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 10-10 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,445-2,545 रुपये और 2,445-2,580 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 125-125 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,450-4,500 रुपये और 4,150-4,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

त्योहारी मांग के कारण सोयाबीन दिल्ली तेल का दाम 50 रुपये के सुधार के साथ 13,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि सोयाबीन इंदौर तेल का दाम 13,050 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 10,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बना रहा।

समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन की कीमत सुधार दर्शाते बंद हुई। मूंगफली तिलहन 400 रुपये के सुधार के साथ 5,700-6,075 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 850 रुपये के सुधार के साथ 13,750 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम 135 रुपये के सुधार के साथ 2,255-2,555 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम भी 75 रुपये के सुधार के साथ 11,800 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 75 रुपये के सुधार के साथ 13,425 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव भी 150 रुपये के सुधार के साथ 12,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

आवक बढ़ने के कारण कारोबारी धारणा प्रभावित होने से, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल के दाम भी 200 रुपये की गिरावट के साथ 12,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

भाषा राजेश

अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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