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बुधवार, 18 जून, 2025
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हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी, आठ लाख करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद

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नयी दिल्ली, चार जनवरी (भाषा) सरकार ने बुधवार को 19,744 करोड़ रुपये के व्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। इस पहल का मकसद कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के साथ देश को ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है।

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है। इससे हरित हाइड्रोजन से जुड़े क्षेत्रों में आठ लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्मीद है।’’

मंत्रिमंडल के निर्णय की जानकारी देते हुए ठाकुर ने कहा कि देश में अगले पांच साल में सालाना 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य है। प्रोत्साहन मिलने से इसकी लागत को कम करने में मदद मिलेगी।

हरित हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के रूप में वाहनों और तेल रिफाइनरी तथा इस्पात संयंत्र जैसे उद्योगों में ऊर्जा स्रोत के रूप में होता है। इसका उत्पादन इलेक्ट्रोलाइसिस प्रक्रिया के जरिये पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित कर किया जाता है।

मिशन के लिये शुरुआती खर्च 19,744 करोड़ रुपये है। इसमें हरित हाइड्रोजन की तरफ बदलाव को रणनीतिक हस्तक्षेप (साइट) कार्यक्रम के लिये 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिये 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिये 400 करोड़ रुपये तथा मिशन से जुड़े अन्य कार्यों के लिये 388 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय योजना के क्रियान्वयन को लेकर दिशानिर्देश तैयार करेगा।

मिशन के तहत 2030 तक देश में लगभग 1,25,000 मेगावॉट की संबद्ध नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ प्रतिवर्ष कम-से-कम 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।

इसमें आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश आने और 2030 तक छह लाख से अधिक नौकरियों के सृजन की उम्मीद है।

साथ ही इससे जीवाश्म ईंधन (कच्चा तेल, कोयला आदि) के आयात में एक लाख करोड़ रुपये तक की कमी आने का अनुमान है। इसके अलावा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पांच करोड़ टन की कमी आएगी।

आधिकारिक बयान के अनुसार, मिशन से कई लाभ होंगे। इसमें हरित हाइड्रोजन और इससे संबद्ध उत्पादों के लिये निर्यात अवसरों का सृजन, उद्योगों, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी, आयातित जीवाश्म ईंधन में कमी, देश में विनिर्माण क्षमता का विकास, रोजगार के अवसर सृजित होना और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का विकास शामिल है।

मिशन हरित हाइड्रोजन की मांग तैयार करने के साथ उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा। हरित हाइड्रोजन की तरफ बदलाव कार्यक्रम के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप के तहत इलेक्ट्रोलाइजर का घरेलू स्तर पर विनिर्माण और हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिये दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन उपाय किये गये हैं। इलेक्ट्रालाइजर का उपयोग हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में किया जाता है।

ठाकुर ने कहा कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय मिशन के कार्यों के क्रियान्वयन और समन्वय के लिये जिम्मेदार होगा।

सरकार की इस पहल पर अपनी प्रतिक्रिया में अवादा समूह के अध्यक्ष विनीत मित्तल ने कहा, ‘‘यह कदम हरित हाइड्रोजन उद्योग को प्रोत्साहित करेगा और इसकी जरूरत थी। भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता है, ऐसे में यह पहल और भी महत्वपूर्ण बन जाती है। यह स्पष्ट रूप से ऊर्जा बदलाव के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।’’

गौतम सोलर के प्रबंध निदेशक गौतम मोहनका ने कहा कि भारत वर्तमान में अपनी तेल आवश्यकता का 80 प्रतिशत से अधिक आयात करता है, ऐसे में सौर और पवन ऊर्जा के साथ-साथ हरित हाइड्रोजन भविष्य का जवाब हो सकता है। इस शुरुआती व्यय के साथ 2050 तक जीवाश्म ईंधन के आयात में 1,000 अरब डॉलर से अधिक की कमी आने का अनुमान है।’’

भाषा रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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