नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) जोमैटो ने एक अनाम रेडिट पोस्ट को खारिज किया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इटरनल के रूप में नयी पहचान बनाने वाली कंपनी अपनी बाजार हिस्सेदारी खो रही है।
खान-पान के उत्पादों को ऑनलाइन ऑर्डर पर पहुंचाने वाले मंच के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) दीपिंदर गोयल ने इन आरोपों को गलत बताया कि उनकी कंपनी अपने कर्मचारियों को जोमैटो से ऑर्डर करने पर मजबूर कर रही है।
रेडिट पोस्ट में दावा किया गया था कि जोमैटो की कार्य संस्कृति ‘हास्यास्पद रूप से असंगत’ हो गई है, तथा अब कंपनी को लाभ में रखने वाली एकमात्र चीज मंच शुल्क है। इसमें कहा गया कि ‘कम वेतन और अधिक काम’ वाले डिलीवरी भागीदारों द्वारा ‘संकट’ और भी बढ़ गया है।
गोयल ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “यह सब (रेडिट पोस्ट) पूरी तरह से बकवास है। न तो हम बाजार हिस्सेदारी खो रहे हैं, न ही हम अपने कर्मचारियों को जोमैटो पर ऑर्डर करने के लिए मजबूर करेंगे। पसंद की स्वतंत्रता एक ऐसी चीज है जिसके लिए हम दृढ़ता से खड़े हैं।”
उन्होंने कहा कि “इस पर स्पष्टीकरण देना भी शर्मनाक है – लेकिन ऐसा इसलिए कर रहा हूं क्योंकि कई लोग चिंता के साथ मेरे पास पहुंचे हैं …और आपकी चिंता के लिए सभी का धन्यवाद.. इसकी सराहना करता हूं।”
रेडिट पोस्ट में आरोप लगाया गया था कि ‘हाल ही में हुई एक आंतरिक बैठक में नेतृत्व ने स्वीकार किया कि कंपनी जेप्टो कैफे और स्विगी के कारण बाजार हिस्सेदारी खो रहे हैं। इसकी प्रतिक्रिया में हास्यास्पद नियम बनाए गए। उनमें से एक: कर्मचारियों को महीने में कम से कम सात बार जोमैटो से ऑर्डर करना होगा कार्यालय में प्रतिस्पर्धियों से ऑर्डर करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।”
इसमें दावा किया गया है कि सोमवार को जोमैटो के खाद्य वितरण कारोबार के सीईओ राकेश रंजन स्लैक पर टाउनहॉल कर रहे थे, जिसमें उन्होंने सभी से ‘ध्यान केंद्रित रखने’ और ‘वापस पटरी पर आने’ के लिए कहा। बुधवार तक उन्हें पद से हटा दिया गया।
पोस्ट के अनुसार, “कंपनी को अब सिर्फ़ एक ही चीज मुनाफ़े में रख रही है और वह है मंच शुल्क जो अविश्वसनीय रूप से ज्यादा है। आंतरिक रूप से, कोई भी दीर्घकालिक स्थिरता की परवाह नहीं करता, सिर्फ संख्याओं की परवाह करता है। इस समय सबसे बड़ा संकट डिलीवरी साझेदार का है। उन्हें कम वेतन दिया जा रहा है और उनसे ज्यादा काम लिया जा रहा है। नतीजतन, कई राइडर्स मंच छोड़ रहे हैं या बदल रहे हैं।”
इसमें दावा किया गया कि जोमैटो बाहर से भले ही चमकदार दिखता हो, लेकिन अंदर से ‘यह बिखर रहा है’।
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय
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