नयी दिल्ली, 11 जुलाई (भाषा) सरकार के चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक खर्च पर जोर देने से आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने के बीच बैंक ऋण से जुड़ी गतिविधियों में सुधार आ सकता है।
‘केयर एज’ की एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है। इसके अनुसार, बीते वित्त वर्ष में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात पिछले छह वर्ष के सबसे निचले स्तर 5.9 प्रतिशत पर आ गया। हालांकि यह 2015-16 की पूर्व-परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा से अधिक था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का एनपीए अनुपात मामूली गिरावट के बावजूद समान अर्थव्यवस्था वाले देशों की तुलना में सबसे अधिक है।
रिपोर्ट के अनुसार, ऋण देने में कमी और संस्थाओं तथा सरकार के हस्तक्षेप के कारण विकसित अर्थव्यवस्थाओं में गैर-निष्पादित कर्ज में कमी आई है।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोविड-19 महामारी संबंधी झटकों को पार कर लिया है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) द्वारा बैंक ऋण वृद्धि अगस्त 2021 के बाद सुधरकर जून 2022 की शुरुआत में 13.1 प्रतिशत तक पहुंच गई। इसका अंतिम बार आकलन मार्च 2019 में किया गया था।
वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने संभावना जताई है कि मार्च 2023 तक कुल ऋण पर बैंकों का फंसा हुआ कर्ज घटकर 5.3 प्रतिशत रह जाएगा।
केंद्रीय बैंक ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा है कि ऋण में वृद्धि और गैर-निष्पादित परसंपत्तियों (एनपीए) के हिस्से में कमी आने से फंसे हुए कर्ज की दर छह साल के निचले स्तर पर आ जायेगी। हालांकि उसने आगाह किया है कि व्यापक स्तर पर आर्थिक माहौल बिगड़ने पर खराब ऋणों या फंसे हुए कर्जों का अनुपात बढ़ भी सकता है।
भाषा जतिन प्रेम
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