(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) नागर विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार बहुत जल्द ही टिकाऊ विमानन ईंधन (एसएएफ) पर एक नीति लेकर आएगी। इससे कच्चे तेल के आयात को कम करने, किसानों की आय बढ़ाने और अधिक हरित रोजगार सृजित करने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय राजधानी में एक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि एसएएफ (टिकाऊ विमानन ईंधन) को अपनाने के लिए अधिक नवाचार, निवेश एवं सामूहिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
भारत का लक्ष्य 2027 तक विमान ईंधन में एसएएफ का एक प्रतिशत, 2028 तक दो प्रतिशत तथा 2030 तक पांच प्रतिशत मिश्रण करना है। एसएएफ का उपयोग विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) में ‘ड्रॉप-इन’ ईंधन के रूप में किया जा सकता है जो विमानों को शक्ति प्रदान करता है।
मंत्री ने कहा कि तेल कंपनियों के अलावा निजी कंपनियों को भी एसएएफ उत्पादन में शामिल होना चाहिए।
वैश्विक स्तर पर 2040 तक एसएएफ की आवश्यकता 18.3 करोड़ टन होने का अनुमान है।
नायडू ने कहा, ‘‘ कच्चे माल से लेकर ईंधन तक, किसानों से लेकर विमान चालकों तक तथा तलने से लेकर उड़ान भरने तक… वास्तव में किसने सोचा होगा कि समोसे तलने वाले भी इस पूरे वैश्विक विमानन आंदोलन (एसएएफ पर) में हिस्सा ले सकते हैं।’’
भारत में 75 करोड़ टन से अधिक ‘बायोमास’ उपलब्ध है और लगभग 21.3 करोड़ टन अधिशेष कृषि अवशेष है।
नायडू ने कहा कि सरकार बहुत जल्द एक एसएएफ नीति लेकर आएगी।
मंत्री ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अलावा, एसएएफ किसानों की आय में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि करके उन्हें सशक्त बना सकता है।
नायडू ने कहा कि एसएएफ उत्पादन हमारे कच्चे तेल के आयात खर्च को हर साल पांच से सात अरब अमेरिकी डॉलर तक कम करने के साथ-साथ एसएएफ मूल्य श्रृंखला में 10 लाख से अधिक हरित रोजगार सृजित करने में भी मदद कर सकता है।
वैश्विक एसएएफ वर्तमान में बहुत कम है।
मंत्री ने कहा कि देश अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर एसएएफ का उत्पादन कर सकता है। यह ईंधन विकास बनाम स्थिरता की चुनौती से निपटने में भी मदद कर सकता है।
भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते नागर विमानन बाजारों में से एक है। घरेलू विमान कंपनियों ने 1,700 से अधिक विमानों के ऑर्डर दिए हैं।
मंत्री ने नागर विमानन मंत्रालय और उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित ‘भारत टिकाऊ विमानन ईंधन शिखर सम्मेलन’ 2025 में यह टिप्पणियां की।
भाषा निहारिका मनीषा
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