नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार 28 सितंबर तक कृत्रिम मेधा (एआई) से संबंधित प्रशासनिक ढांचा जारी करेगी जिसमें नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीमाएं तय की जाएंगी और आवश्यक निगरानी तंत्र को परिभाषित किया जाएगा।
इसके साथ ही वैष्णव ने यह साफ किया कि यह ढांचा ‘अनुदेशात्मक’ नहीं होगा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए जरूरी पहलुओं को समय के साथ कानून में भी तब्दील किया जा सकता है।
वैष्णव ने बताया कि भारत 19-20 फरवरी, 2026 को नयी दिल्ली में ‘एआई इम्पैक्ट समिट’ की मेजबानी करेगा जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। इसमें कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रतिनिधि शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि भारत इस मंच पर वैश्विक एआई प्रशासनिक ढांचे के लिए सहमति-आधारित दृष्टिकोण का समर्थन करेगा।
उन्होंने कहा कि एआई के प्रशासनिक ढांचे को तैयार करने के लिए सरकार ने लंबे समय में प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद के मार्गदर्शन में 3,000 से अधिक परामर्श आयोजित किए।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस प्रारूप को आने वाले दिनों में, संभवतः 28 सितंबर तक जारी कर देंगे।’’
वैष्णव ने कहा कि डीपफेक और भ्रामक सामग्री के प्रसार जैसे एआई से जुड़े खतरों को समाज के लिए बड़ी चुनौती मानते हुए ढांचे में नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
वैष्णव ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि एआई के विकास के साथ उसके दुष्प्रभावों से निपटने के लिए स्पष्ट सुरक्षा सीमाएं तय हों। नागरिकों को नुकसान होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाए, इसके लिए संतुलित प्रणाली जरूरी है।’’
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