नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) शराब कंपनियों के शीर्ष निकाय ‘कनफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने सरकार से अनुरोध किया है कि घरेलू शराब उद्योग को समर्थन के लिए वह भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत ब्रिटिश शराब पर सीमा शुल्क दरों में धीरे-धीरे कमी करे।
भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को लेकर आधिकारिक वार्ता शुरू हो चुकी है। इस दौरान दोनों देशों के बीच जिन विभिन्न वस्तुओं का व्यापार होता है उन पर शुल्क या तो घटाया जाएगा या फिर पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।
सीआईएबीसी ने सुझाव दिया है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि ब्रिटेन विविध वस्तुओं से बनाई जाने वाली घरेलू व्हिस्की की बिक्री ‘भारतीय व्हिस्की’ के रूप में करे। संस्था ने वाणिज्य मंत्रालय को भेजे पत्र में यह भी कहा कि व्हिस्की और रम के लिए न्यूनतम तीन वर्ष की अवधि पूरी होने की शर्त भी हटाई जानी चाहिए।
सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरी ने कहा कि राज्यों को मिलने वाले कर में अल्कोहल युक्त पेय पदार्थ उद्योग का योगदान 2.5 लाख करोड़ रुपये सालाना है, यह उद्योग 20 लाख लोगों को रोजगार देता है और 50 लाख किसानों को समर्थन देता है।
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मानसी अजय
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