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Monday, 11 August, 2025
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सरकार ने पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाने के लिए नए वनस्पति तेल विनियमन आदेश को अधिसूचित किया

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नयी दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) सरकार ने खाद्य तेल उद्योग के लिए एक नया ढांचा अधिसूचित किया है, जिसमें पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाने के लिए उत्पादकों पर पंजीकरण और रिपोर्टिंग की सख्त ज़रूरतें लागू की गई हैं। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा एक अगस्त को अधिसूचित 2025 वनस्पति तेल उत्पाद, उत्पादन और उपलब्धता (वीओपीपीए) विनियमन आदेश, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा-3 के तहत वनस्पति तेल उत्पाद उत्पादन और उपलब्धता (विनियमन) आदेश, 2011 में संशोधन करता है।

नए ढांचे के तहत, उत्पादकों को पंजीकरण और रिपोर्टिंग की सख्त आवश्यकताओं का सामना करना पड़ेगा। उन्हें नयी दिल्ली स्थित चीनी एवं वनस्पति तेल निदेशालय के माध्यम से पंजीकरण प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करना होगा, जिसमें अनुसूची-1 में उल्लिखित कारखाने के स्थान और उत्पादन क्षमता जैसे विवरण प्रदान करने होंगे।

संशोधित आदेश में हर महीने की 15 तारीख तक मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है, जिसमें तेल के उपयोग, उत्पादन, बिक्री और का विवरण दिया जाएगा ताकि आपूर्ति शृंखला पर बेहतर नज़र रखी जा सके और उचित मूल्य पर खाद्य तेलों की उपलब्धता बनी रहे।

संशोधन प्रवर्तन तंत्र को भी मज़बूत करता है। निदेशक को कारखानों का निरीक्षण करने, जानकारी मांगने और झूठी रिपोर्टिंग का संदेह होने पर स्टॉक ज़ब्त करने का अधिकार दिया गया है। आदेशों का पालन न करना स्पष्ट रूप से निषिद्ध है, और उत्पादकों को सभी निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।

इन उपायों का उद्देश्य जमाखोरी या गलत बयानी को रोकना और उपभोक्ताओं को आपूर्ति में व्यवधान से बचाना है।

संशोधन में ‘उत्पादक’, ‘वनस्पति तेल’ और ‘निदेशक (चीनी एवं वनस्पति तेल निदेशालय)’ जैसे प्रमुख शब्दों की स्पष्ट परिभाषाएं’ शामिल की गई हैं, जो उन्हें आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और सांख्यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 के अनुरूप बनाती हैं।

यह ‘तेल रहित भोजन या खाद्य आटा’ जैसे पुराने संदर्भों को हटाता है और विनियमों को सरल बनाने के लिए अनुसूची-3 और अनुच्छेद 13 को हटाता है। ‘खंड’ शब्द को पूरे अनुच्छेद में ‘अनुच्छेद’ से बदल दिया गया है, जबकि ‘मुख्य निदेशक’ को सुसंगतता के लिए ‘निदेशक’ में बदल दिया गया है।

इस कदम का स्वागत करते हुए भारतीय सब्जी उत्पादक संघ (आईवीपीए) ने कहा कि सरकार द्वारा उठाई गई मुख्य चिंता यह है कि पूरे उद्योग में सुसंगत और व्यापक आंकड़ों का अभाव है, जो प्रभावी नीति निर्माण को सीमित करता है।

आईवीपीए ने एक बयान में कहा, “मज़बूत अनुपालन मानकों को बनाए रखने में सक्षम संगठित क्षेत्र संशोधित ढांचे के तहत आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह सक्षम है। हालांकि, चुनौती अत्यधिक विखंडित असंगठित क्षेत्र में है, जिसमें हज़ारों छोटी मिलें और प्रसंस्करण इकाइयां शामिल हैं, जिससे आंकड़े एकत्र करना और भी जटिल हो जाता है।”

एसोसिएशन का मानना है कि समय के साथ डेटा की गुणवत्ता और पूर्णता में सुधार होगा, जिससे नीति निर्माताओं, किसानों, उपभोक्ताओं और उद्योग के साझा उद्देश्यों को बल मिलेगा।

भाषा अनुराग

अनुराग

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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