नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) सरकार अमेरिका की तरफ से लगाए गए 50 प्रतिशत सीमा शुल्क से प्रभावित होने वाले कपड़ा एवं रसायन उद्योग जैसे क्षेत्रों को समर्थन देने को लेकर प्राथमिकता दे सकती है। उद्योग सूत्रों ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह सहायता निर्यात प्रोत्साहन मिशन के तहत दी जाएगी।
निर्यात प्रोत्साहन मिशन की घोषणा वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में की गई थी। मिशन के लिए 2,250 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।
वाणिज्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कपड़ा और रसायन क्षेत्र के निर्यातकों के साथ बैठक की जिसमें अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों के संभावित प्रभाव और राहत उपायों पर चर्चा हुई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारतीय आयात पर लगाए गए शुल्क को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया। इसमें रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर जुर्माने के तौर पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाए गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि निर्यात प्रोत्साहन मिशन के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए आसान ऋण योजनाएं, ई-कॉमर्स निर्यातकों को सहयोग, विदेशी गोदामों की सुविधा और वैश्विक ब्रांडिंग पहलों जैसे उपाय शामिल होंगे।
सूत्रों ने कहा, ‘सरकार इस मिशन के तहत उन क्षेत्रों को समर्थन देने की योजना बना रही है, जो अमेरिकी शुल्कों से सबसे अधिक प्रभावित होंगे।’
अमेरिका में भारत के कपड़ा निर्यात का मूल्य लगभग 11 अरब डॉलर है, जो अमेरिका के कुल कपड़ा आयात का नौ प्रतिशत है।
इसी तरह रसायन निर्यात भी लगभग छह अरब डॉलर का है।
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत-अमेरिका के बीच 131.8 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। इसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर और आयात 45.3 अरब डॉलर रहा।
बैठक में शामिल निर्यातकों ने सरकार से ब्याज सब्सिडी, निर्यात उत्पादों पर शुल्क में रियायत संबंधी योजनाओं का विस्तार, बकाया भुगतान में तेजी और अमेरिका के लिए सीधा पोत परिवहन मार्ग उपलब्ध कराने की मांग की।
इसके साथ ही निर्यातकों ने अग्रिम प्राधिकार नियमों को सरल बनाने, बंदरगाह शुल्क में कटौती और अनुपालन बोझ को घटाने की भी अपील की।
सूत्रों ने बताया कि बदली परिस्थिति में निर्यातक अब नए बाजारों की संभावनाएं तलाशने में लग गए हैं।
निर्यातकों का मानना है कि वैश्विक व्यापार में अव्यवस्था के बीच निर्यात में विविधता लाने का अवसर है। इस पहलू पर निर्यात प्रोत्साहन परिषद और वाणिज्य मंत्रालय भी गौर कर रहा है।
सूत्रों ने कहा कि ऊंचे शुल्कों से घरेलू बाजार की ओर झुकाव बढ़ेगा जिससे भारत का आयात बिल घटाने में मदद मिल सकती है।
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