मुंबई, छह नवंबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार खुदरा विक्रेताओं को वायदा एवं विकल्प (एफ एंड ओ) खंड में कारोबार करने से नहीं रोक सकती, लेकिन ऐसे उत्पादों में पैसा लगाने से जुड़े जोखिमों के बारे में जागरूक जरूर करेगी।
यह बयान सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय द्वारा निफ्टी और सेंसेक्स में साप्ताहिक डेरिवेटिव अनुबंधों को बंद करने से इनकार करने के कुछ दिनों बाद आया है।
वायदा एवं विकल्प खंड (डेरिवेटिव) पर सरकार के रुख के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए, सीतारमण ने कहा कि सरकार ‘एफएंडओ कारोबार के दरवाजे बंद करने के लिए नहीं है, लेकिन वह लोगों को डेरिवेटिव में शामिल जोखिमों के बारे में जागरूक कर सकती है।’’
इस खंड में खुदरा विक्रेताओं को काफी नुकसान की विभिन्न रिपोर्ट के बीच उन्होंने यह बात कही।
उन्होंने एसबीआई ‘बैंकिंग एंड इकॉनमिक्स’ सम्मेलन में कहा, ‘‘साथ ही, निवेशकों की भी जिम्मेदारी है कि वे इसमें शामिल जोखिमों को समझें।’’
सीतारमण ने एफएंडओ खंड में खुदरा विक्रेताओं के कारोबार के मामले से निपटने के लिए सुझाव भी मांगे।
सेबी के एक हाल के अध्ययन के अनुसार, वायदा और विकल्प (एफएंडओ) खंड में 91 प्रतिशत व्यक्तिगत कारोबारियों को वित्त वर्ष 2024-25 में शुद्ध घाटा हुआ और उन्हें सामूहिक रूप से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। यह वह धनराशि थी जो जिम्मेदार निवेश और पूंजी निर्माण में योगदान दे सकती थी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पिछले साल नवंबर में डेरिवेटिव कारोबार में अत्यधिक सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने के लिए उपाय पेश किए थे।
वायदा अनुबंध के तहत खरीदार और विक्रेता एक पूर्व निर्धारित भविष्य की तिथि और मूल्य पर लेन-देन करने के लिए सौदा करते हैं और वे उसके लिए बाध्य होते हैं। जबकि विकल्प सौदों के तहत अनुबंध धारक को एक निश्चित अवधि के भीतर एक निर्धारित मूल्य पर परिसंपत्ति खरीदने या बेचने का अधिकार होता हैं, लेकिन बाध्यता नहीं होती।
इन वित्तीय साधनों का उपयोग जोखिमों से बचाव, मूल्य पर सट्टा लगाने और विभिन्न बाजारों में मूल्य निर्धारण (आर्बिट्रेज ट्रेडिंग) अंतर के लिए किया जाता है। हालांकि, इनमें महत्वपूर्ण जोखिम भी होते हैं, जिससे भारी नुकसान हो सकता है।
भाषा रमण अजय
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