नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को लघु अवधि के कृषि ऋण पर ब्याज सहायता योजना के तहत 34,856 करोड़ रुपये की मंजूरी दी। इससे बैंकों को तीन लाख रुपये तक का अल्पकालीन कृषि ऋण सात प्रतिशत ब्याज पर देने में मदद मिलेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रेपो दर में वृद्धि से कर्ज लागत बढ़ने के बाद यह कदम उठाया गया है।
सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सभी वित्तीय संस्थानों के लिये अल्पकालीन कृषि कर्ज को लेकर 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता योजना बहाल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।
इसके तहत कर्ज देने वाले संस्थानों (सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक, लघु वित्त बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक और कंप्यूटरीकृत प्राथमिक कृषि ऋण समिति) को वित्त वर्ष 2022-23 से 2024-25 के लिये किसानों को दिए गए तीन लाख रुपये तक के लघु अवधि के कर्ज के एवज में 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता दी जाएगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘ब्याज सहायता के तहत 2022-23 से 2024-25 की अवधि के लिये 34,856 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय प्रावधान की आवश्यकता है।’’
ठाकुर ने कहा कि सरकार का बैंकों को ब्याज सहायता के रूप में समर्थन मई, 2020 में बंद हो गया था। इसका कारण यह था कि कम ब्याज दर होने से बैंक स्वयं सात प्रतिशत ब्याज पर कृषि कर्ज देने में सक्षम थे।
हालांकि, आरबीआई के नीतिगत दर (रेपो) में तीन बार में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि के बाद बैंकों की क्षतिपूर्ति की जरूरत थी ताकि वे कृषि क्षेत्र को सात प्रतिशत ब्याज पर कर्ज दे सके।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने वैश्विक स्तर पर उर्वरक के दाम चढ़ने के बावजूद घरेलू बाजार में इसकी कीमत बढ़ने नहीं दीं।
मंत्री ने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी दो लाख करोड़ रुपये से अधिक रहने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में उर्वरक सब्सिडी 1.05 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा गया था। पिछले वित्त वर्ष में यह सब्सिडी 1.62 लाख करोड़ रुपये थी।
ब्याज सहायता योजना के बारे में बयान में कहा गया है कि इससे कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह बना रहेगा। साथ ही वित्तीय संस्थानों खासकर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों की वित्तीय सेहत और कर्ज को लेकर व्यवहार्यता सुनिश्चित होगी।
इससे बैंक आरबीआई के कदम से बढ़ी कोष की लागत को उठाने में सक्षम होंगे और किसानों को उनकी कृषि आवश्यकताओं के लिये ऋण देने को प्रोत्साहित होंगे।
बयान के अनुसार, इससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी क्योंकि लघु अवधि के कृषि ऋण पशुपालन, डेयरी, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन सहित सभी कृषि कार्यों के लिये प्रदान किए जाते हैं।
सरकार ने किसानों को सस्ती दर पर बिना किसी बाधा के ऋण उपलब्ध कराने के मकसद से ब्याज सहायता योजना (आईएसएस) शुरू की। अब इसका नाम बदलकर संशोधित ब्याज सहायता योजना (एमआईएसएस) कर दिया गया है।
इस योजना के तहत कृषि और अन्य संबद्ध गतिविधियों में लगे किसानों को सात प्रतिशत सालाना ब्याज पर तीन लाख रुपये तक का अल्पकालीन कृषि ऋण दिया जाता है। शीघ्र और समय पर ऋण की अदायगी करने पर किसानों को अतिरिक्त तीन प्रतिशत प्रोत्साहन भी दिया जाता है। यानी यदि कोई किसान अपना ऋण समय पर चुकाता है, उसे चार प्रतिशत सालाना ही ब्याज देना होगा।
भाषा
रमण अजय
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