scorecardresearch
Saturday, 20 September, 2025
होमदेशअर्थजगतइलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकार्यता बढ़ने से फोर्जिंग, कास्टिंग उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव : एआईएफआई

इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकार्यता बढ़ने से फोर्जिंग, कास्टिंग उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव : एआईएफआई

Text Size:

मुंबई, 10 अगस्त (भाषा) इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की स्वीकार्यता बढ़ने के साथ घरेलू फोर्जिंग और कास्टिंग उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे क्षमता का उपयोग कम हो जाएगा। उद्योग निकाय एआईएफआई ने बुधवार को यह बात कही।

एसोसिएशन ऑफ इंडियन फोर्जिंग इंडस्ट्री (एआईएफआई) ने कहा कि यदि सरकार ने सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों के बजाय हाइब्रिड वाहनों को प्रोत्साहन नहीं दिया, तो बढ़ती उत्पादन लागत से जूझ रहे उद्योग की 60 प्रतिशत तक इकाइयों को अपना परिचालन बंद करना पड़ सकता है।

एआईएफआई ने कहा कि कुल घरेलू फोर्जिंग उत्पादन का 70 से 80 प्रतिशत हिस्सा वाहन उद्योग में इस्तेमाल होता है। निकाय ने कहा कि वाहन क्षेत्र में सुस्ती के बीच फोर्जिंग उद्योग में औसत कुल क्षमता पर 50 प्रतिशत की कमी देखने को मिल रही है।

एआईएफआई के अध्यक्ष विकास बजाज ने कहा कि हमारा अनुमान है कि इलेक्ट्रिक वाहन अगले कुछ साल में फोर्जिंग और कास्टिंग उद्योग की 60 प्रतिशत कंपनियों को बंद कर देंगे। इससे क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ेगी और इकाइयां बंद होंगी।

एसोसिएशन के मुताबिक, एक पारंपरिक ड्राइवट्रेन में 2,000 घूमने वाले कलपुर्जे होते हैं जबकि इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन में इनकी संख्या मात्र 20 होती है।

आईवीसीए द्वारा ईवाई और इंडस लॉ के सहयोग से किए गए एक हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण 20212 में सालाना आधार पर 168 प्रतिशत बढ़कर 3,30,000 इकाई पर पहुंच गया है।

अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि घरेलू ईवी मांग 2027 तक बढ़कर 90 लाख वाहनों तक पहुंच जाएगी।

भाषा रिया अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments