मुंबई, छह जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है और विदेशी निवेशकों द्वारा अपना पैसा वापस भेजने के मामले में वृद्धि एक परिपक्व बाजार का संकेत है। यह दर्शाता है कि विदेशी निवेशक भारत में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं और बाहर निकल सकते हैं।
सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह मजबूत बना हुआ है। यह 2024-25 में करीब 14 प्रतिशत बढ़कर 81 अरब डॉलर हो गया, जो इससे पिछले साल 71.3 अरब डॉलर था। हालांकि, शुद्ध एफडीआई प्रवाह 2024-25 में घटकर 40 करोड़ डॉलर रह गया है, जो एक साल पहले 10.1 डॉलर था।
भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) बीते वित्त वर्ष तेजी से घटा है और यह 1.7 अरब डॉलर रह गया। इसका कारण यह है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयर बाजार में जमकर मुनाफा काटा है।
मल्होत्रा ने जून की मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा, ‘‘शुद्ध एफडीआई में कमी का कारण निवेशकों के अपनी राशि वापस भेजने और दूसरे देशों में शुद्ध एफडीआई में वृद्धि है। जबकि सकल एफडीआई वास्तव में 14 प्रतिशत बढ़ा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘धन के वापस भेजने के मामले में वृद्धि एक परिपक्व बाजार का संकेत है, जहां विदेशी निवेशक आसानी से प्रवेश कर सकते हैं और बाहर निकल सकते हैं। उच्च सकल एफडीआई यह बताता है कि भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है।’’
आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि 2024-25 की चौथी तिमाही में व्यापार घाटे में कमी के साथ-साथ मजबूत सेवा निर्यात और बाहर से भेजे जाने वाली राशि के साथ, 2024-25 के लिए चालू खाते का घाटा (कैड) कम रहने की उम्मीद है।
इसके अलावा, बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं और व्यापार तनाव के बावजूद, अप्रैल, 2025 में भारत का वस्तु व्यापार मजबूत बना रहा।
हालांकि, निर्यात की तुलना में आयात तेजी से बढ़ा, जिससे माह दौरान व्यापार घाटा बढ़ गया।
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘आने वाले समय में, शुद्ध सेवा और बाहर से भेजी जाने वाली राशि की प्राप्तियों के मामले में अधिशेष में रहने की संभावना है। यह व्यापार घाटे में वृद्धि को संतुलित करेगा। चालू वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा प्रबंधन योग्य स्तर पर रहने की उम्मीद है।’’
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 30 मई, 2025 तक 691.5 अरब डॉलर था, जो 23 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान 692.72 अरब डॉलर से कम है। ये 11 महीने से अधिक के वस्तु आयात और लगभग 96 प्रतिशत बकाया बाह्य ऋण को वित्तपोषित करने के लिए पर्याप्त हैं।
मल्होत्रा ने कहा कि बाह्य स्थिति से जुड़े सभी संकेतकों में सुधार हो रहा है। इसके साथ कुल मिलाकर, भारत का बाह्य क्षेत्र मजबूत बना हुआ है।
भाषा रमण अजय
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