कोच्चि, 29 जनवरी (भाषा) भारत में पहली बार एक अभूतपूर्व पहल के तहत आईसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) ने प्रयोगशाला में विकसित मछली का मांस विकसित करने के लिए अग्रणी प्रयास किया है।
एक सरकारी बयान में सोमवार को यहां कहा गया कि इस परियोजना का लक्ष्य समुद्री भोजन की बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ-साथ जंगली संसाधनों पर अत्यधिक दबाव को कम करना है।
सीएमएफआरआई ने कहा कि खेती के जरिये मछली के मांस या प्रयोगशाला में उगाई गए मछली के मांस का उत्पादन, मछली से विशिष्ट कोशिकाओं को अलग करके और उन्हें पशु घटक मुक्त माध्यम का उपयोग करके प्रयोगशाला सेटिंग में विकसित करके किया जाता है।
इसमें कहा गया है कि अंतिम उत्पाद मछली के मूल स्वाद, बनावट और पोषण गुणों के समान ही होगा।
इसके अनुरूप, सीएमएफआरआई ने इस पहल को सार्वजनिक-निजी भागीदारी के रूप में शुरू करने के लिए खेती किए गए मांस को विकसित करने की दिशा में काम करने वाले एक स्टार्टअप नीट मीट बायोटेक के साथ एक सहयोगात्मक अनुसंधान समझौता किया है।
सीएमएफआरआई के निदेशक ए गोपालकृष्णन और नीट मीट बायोटेक के सह-संस्थापक और सीईओ संदीप शर्मा ने इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
एमओयू के अनुसार, सीएमएफआरआई उच्च मूल्य वाली समुद्री मछली प्रजातियों के प्रारंभिक सेल लाइन विकास पर अनुसंधान करेगा।
इसमें आगे के अनुसंधान और विकास के लिए मछली कोशिकाओं को अलग करना और विकसित करना शामिल है।
इसके अतिरिक्त, सीएमएफआरआई परियोजना से संबंधित आनुवंशिक, जैव रासायनिक और विश्लेषणात्मक कार्य संभालेगा।
गोपालकृष्णन ने कहा, ‘‘इस परियोजना का लक्ष्य इस क्षेत्र में विकास को गति देना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत इस उभरते उद्योग में पीछे न रह जाए।’’
भाषा राजेश राजेश अजय
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