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Saturday, 16 November, 2024
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खाद्य सब्सिडी खर्च अब भी बहुत ज्यादा, इसमें और कमी की गुंजाइश : समिति

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नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने खाद्य सब्सिडी खर्च में कटौती के सरकार के प्रयासों की सराहना की है, लेकिन कहा है कि यह अब भी ‘बहुत अधिक’ है और इसमें आगे कमी किये जाने की गुंजाइश है।

खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने मंगलवार को लोकसभा में एक रिपोर्ट पेश की।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति मानती है कि खाद्य सब्सिडी के संबंध में धन का आवंटन – वर्ष 2021-22 के दौरान 2,90,573.11 करोड़ रुपये था, लेकिन 11 फरवरी, 2022 तक वास्तविक खर्च 2,20,445.61 करोड़ रुपये ही है, जो आवंटन का मात्र 76 प्रतिशत है।

इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, समिति वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 के दौरान खाद्य सब्सिडी पर खर्च को कम करने के लिए विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करती है। हालांकि, समिति का मानना है कि यह खर्च अब भी बहुत अधिक है और इसमें और कमी किये जाने की गुंजाइश है।’’

समिति ने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि विकेंद्रीकृत खरीद योजना (डीसीपी) शुरू करने के 24 वर्षों के बाद, इसे केवल नौ राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा गेहूं और 16 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा चावल के लिए अपनाया गया है।

इसने सुझाव दिया कि विभाग को शेष राज्यों को इस योजना को अपनाने के लिए प्रेरित करने को गंभीर प्रयास करने चाहिए।

समिति ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) शुरू करने के लिए सरकार की सराहना की, ताकि वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान कुल 19 महीने की अवधि के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत कवर किए गए सभी लाभार्थियों के लिए केंद्रीय पूल से प्रति व्यक्ति प्रतिमाह पांच किलो खाद्यान्न का अतिरिक्त आवंटन मुफ्त में किया जा सके।

समिति ने विभाग से लाभार्थियों पर इस योजना के प्रभाव का पता लगाने के लिए और इसे आगे जारी रखने की जरूरत पर बेहतर तरीके से मूल्यांकन की जरूरत बताई है।

चीनी क्षेत्र के बारे में समिति ने बताया कि गन्ने का 16,612 करोड़ रुपये बकाया है।

समिति ने कहा कि चीनी सत्र 2016-17 और उससे पहले का गन्ना मूल्य का अभी भी बकाया है और गन्ना मूल्य बकाया की वसूली के लिए चीनी मिलों पर 15 प्रतिशत ब्याज सहित गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के अनुसार कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति का मानना है कि गन्ने के बकाया का समय पर भुगतान न करना हतोत्साहित करने वाला हो सकता है।’’

पेट्रोलियम विपणन कंपनियों (ओएमसी) को लाभकारी कीमतों पर एथनॉल की बिक्री से चीनी मिलों की नकदी की स्थिति में सुधार हुआ है।

इससे चीनी मिलों के लिए किसानों का बकाया जल्द से जल्द चुकाना और भी जरूरी हो गया है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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