नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से महामारी के प्रभाव से उबर रही है, लेकिन मध्यम अवधि के कर्ज के रुख को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. फिच रेटिंग्स ने गुरूवार को यह बात कही.
फिच रेटिंग्स की रिपोर्ट ‘निवेशक क्या जानना चाहते हैं: भारत के सरकारी और वित्तीय संस्थान-2022’ में कहा गया है कि संपत्ति की गुणवत्ता के जोखिम और पूंजी की सीमा की वजह से वित्तीय संस्थान असमान पुनरुद्धार की स्थिति से जूझ रहे हैं.
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. अगले वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 10.3 प्रतिशत रहेगी.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कुल मिलाकर मध्यम अवधि में ऋण का रुझान चिंता का विषय है. एक फरवरी, 2022 को पेश बजट के हिसाब से देखा जाए, तो राजकोषीय मजबूती की रफ्तार पूर्व में लगाए गए अनुमान से कम रहेगी.’
फिच रेटिंग्स ने कहा कि भारत के मध्यम अवधि के ऋण के रुख की वजह से ही नवंबर, 2021 में एजेंसी ने बीबीबी- सॉवरेन रेटिंग की पुष्टि करते हुए नकारात्मक परिदृश्य को कायम रखा था.
फिच ने हालांकि कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से कोविड-19 महामारी के प्रभाव से उबर रही है और वित्तीय क्षेत्र का दबाव कुछ कम हो रहा है.
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का प्रदर्शन अर्थव्यवस्था में तेजी और नियामकीय मोर्चे पर ढील की वजह से धीरे-धीरे बेहतर होना चाहिए.
भाषा अजय अजय रमण
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