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गुरूवार, 19 जून, 2025
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वित्तीय संस्थानों को ढांचागत परियोजनाओं की जरूरतों के अनुरूप उत्पाद तैयार करने की जरूरत: जोशी

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नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में 111 लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन को देखते हुए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ढांचागत परियोजनाओं की जरूरतों के अनुरूप उत्पाद तैयार करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे का विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (एनआईपी) के साथ उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, ‘मेक इन इंडिया’ जैसे कदम भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाएंगे।

जोशी ने कहा कि पीएम गतिशक्ति पोर्टल के तहत 111 लाख करोड़ रुपये के कुल व्यय वाली एनआईपी परियोजनाओं पर नजर रखी जा रही है। शुरू में एनआईपी में 6,800 परियोजनाएं थीं। अब इसमें 34 बुनियादी ढांचा उप-क्षेत्रों की 9,000 से अधिक परियोजनाएं हैं।

उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की आईआईएफसीएल (इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लि.) के 18वें स्थापना दिवस के मौके पर कहा कि कुल निवेश में से 44 प्रतिशत का वित्तपोषण केंद्र और राज्यों के बजट से होता है। बैंक, वित्तीय संस्थानों और विकास वित्त संस्थानों (डीएफआई) की इसमें हिस्सेदारी करीब 30 प्रतिशत है और उनसे इन परियोजनाओं के वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।

जोशी ने कहा, ‘‘इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और डीएफआई (विकास वित्त संस्थानों) को सक्रिय और आपसी तालमेल वाला दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। तभी निवेश के लिये राशि की कमी से बचा जा सकता है और राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं को समय पर और उचित वित्तपोषण मिल पाएगा।’’

सरकार ने 2021 में डीएफआई के रूप में राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक (एनएबीएफआईडी) की स्थापना की। इसका मकसद भारत में दीर्घकालिक बुनियादी ढांचा वित्तपोषण को सुगम बनाना है।

सरकार ने एनएबीएफआईडी में 20,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी के अतिरिक्त 5,000 करोड़ रुपये के अनुदान की प्रतिबद्धता जतायी है।

जोशी ने इस खंड में काम कर रहे सार्वजनिक संस्थानों के बारे में कहा कि व्यवसाय के विस्तार के लिये एक दूसरे के प्रयासों को प्रभावित किये बिना वैकल्पिक अवधि पर इक्विटी और ऋण उत्पादों के मिश्रण की पेशकश करना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘‘परियोजना की वास्तविकता के अनुरूप उत्पादों के साथ नये बुनियादी ढांचे की वित्तीय जरूरतों को पूरा करना समय की आवश्यकता है। वर्तमान और उभरते उप-क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिये संस्थागत क्षमता का लगातार मूल्यांकन किया जाना चाहिए। यहां आईआईएफसीएल जैसे संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’’

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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