नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) भारतीय फुटवियर और चमड़ा विकास कार्यक्रम (आईएफएलडीपी) के तहत पुरानी मशीनरी के लिए वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी, क्योंकि यह योजना क्षेत्र की विनिर्माण इकाइयों के आधुनिकीकरण और तकनीकी उन्नयन के लिए है।
कार्यक्रम के संबंध में जारी एक दिशानिर्देश में यह बात कही गई।
आईएफएलडीपी की चमड़ा क्षेत्र उप-योजना के एकीकृत विकास दिशानिर्देशों के अनुसार योजना के उद्देश्यों के अलावा सहायता का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
दिशानिर्देशों के मुताबिक सरकार द्वारा जारी राशि का इस्तेमाल मूलधन के अदायगी और ब्याज चुकाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य घरेलू चमड़ा बाजार एवं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विश्वस्तरीय ढांचा तैयार करना है। इस कार्यक्रम में छह उप-योजनाएं समाहित हैं जिनमें भारतीय चमड़ा उत्पादों के ब्रांड का प्रोत्साहन और एकीकृत विकास भी शामिल है।
भारतीय फुटवियर एवं चमड़ा उद्योग का आकार करीब 17 अरब डॉलर है जिसमें निर्यात 5.09 अरब डॉलर का है। यह क्षेत्र बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार देता है। एक अनुमान के अनुसार करीब 44 लाख लोग इस क्षेत्र में कार्यरत हैं।
भाषा पाण्डेय रमण
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