नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) वित्त मंत्रालय छूट या रियायतों से मुक्त कर व्यवस्था की समीक्षा की योजना बना रहा है। मंत्रालय ने जल्द छूट-मुक्त कर व्यवस्था की समीक्षा का प्रस्ताव रखा है ताकि इसे व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए अधिक आकर्षक बनाया जा सके।
सूत्रों ने कहा कि सरकार का इरादा ऐसी कर प्रणाली स्थापित करने का है जिसमें किसी तरह की रियायतें न हों। इसके साथ ही सरकार छूट और कटौतियों वाली जटिल पुरानी कर व्यवस्था को समाप्त करना चाहती है।
आम बजट 2020-21 में एक नई कर व्यवस्था पेश की गई थी। इसमें करदाताओं को विभिन्न कटौतियों और छूट के साथ पुरानी व्यवस्था और बिना छूट और कटौतियों वाली निचली दरों की नई व्यवस्था में से चयन का विकल्प दिया गया था।
इस सारी कवायद के पीछे मकसद व्यक्तिगत आयकरदाताओं को राहत देना और आयकर कानून को सरल करना था।
नई कर व्यवस्था के अनुभव के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने कहा कि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि जिन लोगों ने अपना आवास और शिक्षा ऋण चुका दिया है वे नई कर व्यवस्था को अपनाना चाहते हैं क्योंकि अब उनके पास किसी तरह की मुक्तता या छूट का दावा करने का विकल्प नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि नई व्यवस्था में करों को कम किए जाने से यह अधिक आकर्षक बन पाएगी।
इसी तरह की कर व्यवस्था कॉरपोरेट करदाताओं के लिए भी सितंबर, 2019 में लाई गई थी। इसमें कर दरों को घटाया गया था और साथ ही छूट या रियायतों को भी समाप्त किया गया था।
व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए एक फरवरी, 2020 को पेश नई कर व्यवस्था में ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय वाले लोगों को कोई कर नहीं देना होता। ढाई लाख से पांच लाख रुपये की आय पर पांच प्रतिशत का कर लगता है।
इसी तरह पांच लाख से 7.5 लाख रुपये की आय पर 10 प्रतिशत, 7.5 लाख से 10 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 10 लाख से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत, 12.5 से 15 लाख रुपये की आय पर 25 प्रतिशत तथा 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर लगता है।
भाषा अजय अजय प्रेम
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