नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को अन्य डिजिटल परिसंपत्तियों से लाभ के साथ किसी भी नुकसान की भरपाई की अनुमति नहीं देकर क्रिप्टोकरेंसी पर कराधान के नियमों को कड़ा करने का प्रस्ताव किया।
मंत्रालय ने लोकसभा सदस्यों को जारी वित्त विधेयक, 2022 में संशोधनों के तहत डिजिटल परिसंपत्तियों से लाभ के साथ नुकसान की भरपाई से संबंधित खंड से ‘अन्य’ शब्द को हटाने का प्रस्ताव किया है।
इसका मतलब है कि ‘वर्चुअल डिजिटल’ संपत्तियों (वीडीए) के अंतरण से होने वाले घाटे की अन्य वीडीए के स्थानांतरण से होने वाली आय के जरिये भरपाई की अनुमति नहीं होगी।
वित्त विधेयक, 2022 के अनुसार ‘वर्चुअल डिजिटल’ संपत्ति कोड या संख्या अथवा टोकन हो सकता है, जिसे स्थानांतरित किया जा सकता है या फिर उसे रखा जा सकता है अथवा इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यापार किया जा सकता है।
वीडीए में क्रिप्टोकरेंसी और ‘नॉन फंजिबल टोकन’ (एनएफटी) शामिल है, जिसके प्रति हाल के दिनों में आकर्षण बढ़ा है।
वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में क्रिप्टो संपत्ति पर आयकर लगाने को लेकर चीजें स्पष्ट की गयी हैं। एक अप्रैल से ऐसे लेन-देन से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत आयकर के साथ उपकर और अधिभार लगाया जाएगा। यह कर ठीक उसी प्रकार से लगेगा, जैसे लॉटरी जैसे सट्टे वाले लेन-देन से होने वाले लाभ पर लगता है।
साथ ही, वीडीए के हस्तांतरण से आय की गणना करते समय, किसी भी खर्च (अधिग्रहण की लागत के अलावा) या भत्ते के संबंध में कोई कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी।
बजट में एक साल में 10,000 रुपये से अधिक ऑनलाइन डिजिटल मुद्रा भुगतान पर एक प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने का भी प्रस्ताव है। साथ ही इस प्रकार की संपत्ति उपहार देने पर भी कराधान का प्रस्ताव किया गया है। टीडीएस के लिये सीमा निर्धारित व्यक्तियों के लिये 50,000 रुपये सालाना होगी। इसमें व्यक्ति/हिंदू अविभाजित परिवार शामिल हैं। उन्हें आयकर कानून के तहत अपने खातों का ऑडिट कराने की जरूरत होगी।
एक प्रतिशत टीडीएस लगाने का प्रस्ताव एक जुलाई, 2022 से प्रभाव में आएगा।
वित्त विधेयक में संशोधनों में निर्यात-आयात आंकड़ों के प्रकाशन के संदर्भ में जुर्माना प्रावधान को हल्का करने का भी प्रस्ताव है।
भाषा
रमण अजय
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