नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान के किसान संगठनों के एक समूह ने सोमवार को सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को स्थगित करने के सरकार के फैसले का समर्थन किया।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ यहां बातचीत के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू-गैर-राजनीतिक) के प्रतिनिधियों और अन्य किसान नेताओं ने इसे ‘ऐतिहासिक फैसला’ करार दिया और कहा कि किसान समुदाय इस मुद्दे पर सरकार के साथ खड़ा है।
चौहान ने कहा, ‘‘संधि को स्थगित रखने का फैसला देश और किसानों के हित में है। …सिंधु नदी के पानी का कृषि और अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने के लिए एक व्यापक योजना बनाई जाएगी।’’
उन्होंने विशेषज्ञों के विरोध के बावजूद संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आलोचना की।
चौहान ने कहा, ‘‘उस समय नेहरू ने पाकिस्तान को न केवल पानी दिया, बल्कि 83 करोड़ रुपये की धनराशि भी दी।’’ उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी संसद में इस संधि का विरोध किया था।
वर्ष 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि सिंधु नदी प्रणाली के जल बंटवारे पर भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक समझौता है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़े आतंकवादी हमले के बाद इस संधि को निलंबित कर दिया गया था।
सोमवार के कार्यक्रम के दौरान चौहान ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर हुसैनीवाला गांव के पंजाब के किसान गोमा सिंह को युद्ध के दौरान सेना के जवानों के लिए अपना घर खाली करने के लिए सम्मानित किया।
इस कार्यक्रम में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के महानिदेशक एमएल जाट भी मौजूद थे।
भाषा राजेश राजेश अजय
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