नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) कृषक संगठन एफएआईएफए ने बृहस्पतिवार को सरकार से अवैध सिगरेट बाजार पर अंकुश रखने के लिए सिगरेट और तंबाकू के अन्य उत्पादों के बीच मूल्य समानता लाने का आग्रह किया। संगठन का कहना है कि अवैध सिगरेट कारोबार से तंबाकू किसानों की आजीविका को नुकसान पहुंच रहा है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशन (एफएआईएफए), ने कहा कि भारत में कानूनी सिगरेट की खपत की कीमत ‘उपभोक्ताओं की खरीदारी क्षमता के अधिकतम स्तर तक पहुंच गई है। जबकि बाजार में अवैध सिगरेट और विकल्पों का बाजार सस्ता और तेजी से बढ़ रहा है।’ एफएआईएफए आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात के वाणिज्यिक फसल उगाने वाले किसानों और खेत मजदूरों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है।
संघ ने बयान में कहा, ‘‘… करों में और वृद्धि से एफसीवी (फ्लू-क्योर वर्जीनिया तंबाकू) की खेती में भारी कमी आएगी और किसानों की आजीविका प्रभावित होगी।’’
एफएआईएफए के उपाध्यक्ष गड्डे शेषगिरी राव ने कहा कि उपरोक्त स्थिति किसान समुदाय पर दबाव डाल रही है क्योंकि उपभोक्ता तस्करी वाली सिगरेट की ओर रुख करते हैं। इसमें घरेलू तंबाकू का उपयोग नहीं होता है।
राव ने कहा, ‘‘यह देखते हुए कि भारत में तंबाकू खेती करने वाले किसानों की आजीविका के लिए तंबाकू की फसल पर बहुत बड़ी और व्यापक निर्भरता है, सरकार को अवैध सिगरेट बाजार पर अंकुश रखने के लिए सिगरेट और तंबाकू के अन्य उत्पादों के बीच मूल्य समानता लाने के लिए उचित और जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए।
एफएआईएफए ने कहा, ‘‘भारत में ‘फ्लू क्योर्ड वर्जीनिया’ तंबाकू (एफसीवी) की खेती का रकबा भी वर्ष 2013-14 के 2,21,385 हेक्टेयर से घटकर वर्ष 2020-21 में 1,22,257 हेक्टेयर रह गया है, जिससे 3.5 करोड़ मानव-दिवस रोजगार का नुकसान हुआ है।’’
भाषा राजेश राजेश अजय
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