अहमदाबाद, 14 अक्टूबर (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को उन करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाने का निर्देश दिया है, जिन्हें कर ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी होती है।
न्यायाधीश भार्गव डी. कारिया और न्यायाधीश प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ ने सोमवार को सीबीडीटी को निर्देश दिया कि वह ऑडिट योग्य करदाताओं के लिए आईटीआर दाखिल करने की ‘अंतिम तिथि’ 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 30 नवंबर करने के लिए एक परिपत्र जारी करे।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम सीबीडीटी को आयकर अधिनियम की धारा 119 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक परिपत्र जारी करने का निर्देश देते हैं। इसके तहत उन करदाताओं के लिए रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर, 2025 तक बढ़ाई जाए, जिन्हें वित्त वर्ष 2024-25 (कर निर्धारण वर्ष 2025-26) के लिए अधिनियम की धारा 139 के अनुसार ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करनी होती है।’’
आयकर बार एसोसिएशन ने पिछले साल सितंबर में ऑडिट रिपोर्ट जमा करने के लिए ‘निर्धारित तिथि’ की समयसीमा और आकलन वर्ष 2025-2026 के लिए आईटीआर जमा करने की ‘देय तिथि’ बढ़ाने को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दी थी।
मामले की सुनवाई के दौरान, सीबीडीटी ने 25 सितंबर को कर ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की निर्धारित तारीख 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर, 2025 कर दी थी।
हालांकि, ऑडिट के दायरे में आने वालों के लिए संबंधित आयकर रिटर्न (आइटीआर) दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर ही रही क्योंकि इसके विस्तार की कोई घोषणा नहीं की गई थी।
याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने अंतिम तिथि एक महीना बढ़ाये जाने का आग्रह करते हुए कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 44एबी के स्पष्टीकरण (ii) के अनुसार, ‘‘निर्धारित तिथि’ अधिनियम की धारा 139 (1) के अनुसार रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि से एक महीने पहले होनी चाहिए।
और इसलिए, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सीबीडीटी को रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को 30 नवंबर तक बढ़ाने के लिए एक साथ अधिसूचना भी जारी करनी चाहिए थी।
सीबीडीटी ने अपने जवाब में अदालत को बताया कि बोर्ड ने पिछले वर्ष दो अलग-अलग परिपत्र जारी किए थे, जिनमें निर्धारित तिथि और नियत तिथि को आगे बढ़ाया गया था। कर लेखा परीक्षा रिपोर्ट की निर्दिष्ट तिथि सितंबर, 2024 के महीने में और निर्धारण वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न की नियत तिथि अक्टूबर, 2024 के महीने में बढ़ा दी गई थी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा, ‘‘वित्त अधिनियम, 2020 द्वारा, संबंधित निर्धारण वर्ष के लिए लेखापरीक्षा योग्य करदाताओं के लिए धारा 139(1) के तहत लेखा परीक्षा रिपोर्ट और आयकर रिटर्न दाखिल करने के बीच एक महीने का समय अंतराल 2020 से लागू किया गया था।’’
पीठ ने कहा कि संशोधित वित्त अधिनियम के अनुसार, रिटर्न दाखिल करने की निर्दिष्ट तिथि और नियत तिथि के बीच एक महीने का अंतर होना आवश्यक है।
अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा जान पड़ता है कि सीबीडीटी ई-फाइलिंग पोर्टल की निगरानी के बाद नियत तिथि की अवधि पूरी होने के कगार पर रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथि को आगे बढ़ा देता है ताकि रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि की भीड़ से बचा जा सके।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, सीबीडीटी को अधिनियम की धारा 44 एबी के स्पष्टीकरण (ii) के अनुसार निर्दिष्ट तिथि को आगे बढ़ाने के परिणामस्वरूप, आयकर रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथि से एक महीने पहले नियत तिथि को आगे बढ़ाना चाहिए था।’’
भाषा रमण अजय
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