scorecardresearch
Thursday, 18 April, 2024
होमदेशअर्थजगतइस गर्मी में बिजली की ‘कटौती’ की संभावना कम, पावर प्लांट्स के पास कोयले का पर्याप्त भंडार

इस गर्मी में बिजली की ‘कटौती’ की संभावना कम, पावर प्लांट्स के पास कोयले का पर्याप्त भंडार

2022 में जहां बिजली उत्पादन के लिए कोयले की भारी दिक्कत देखी गई थी, वहीं इस साल कोयले के अधिक उत्पादन में बेमौसम बारिश और प्रमुख मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय का लाभ मिला है.

Text Size:

नई दिल्ली: कोयला उत्पादन में वृद्धि, अप्रैल और मई में हुई बेमौसम बारिश और प्रमुख मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय के कारण देशभर में पिछले साल थर्मल पावर स्टेशनों में कोयले की आपूर्ति की कमी के बाद इस साल देश भर के पावर स्टेशनों में बेहतर आपूर्ति हुई है.

यह उद्योग और आम लोगों के लिए समान रूप से अच्छी खबर है, क्योंकि पिछले साल कोयले की भारी कमी के कारण देश भर के पावर प्लांट्स को ‘लोड-शेडिंग’ का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था, क्योंकि पावर स्टेशनों के पास कोयले का स्टॉक काफी कम हो गया था.

पावर प्लांट्स में कोयले के स्टॉक को काफी ‘महत्वपूर्ण’ माना जाता है. खासकर जब 26 दिनों के बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक कोयले का स्टॉक 25 प्रतिशत से भी कम हो जाता है.

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते अप्रैल 2022 में पावर प्लांट्स के पास कोयले का स्टॉक नौ दिनों के बराबर का रह गया था.

हालांकि, इस साल कहानी बिल्कुल अलग है. मार्केट एनालिसिस कंपनी क्रिसिल के मुताबिक, अप्रैल 2023 के अंत में पावर प्लांट्स के पास कोयले का स्टॉक 13 दिन का था. पिछले साल अप्रैल में कोयले के स्टॉक की कमी से जूझने वाले पावर प्लांट्स की संख्या 96 थी जो इस साल अप्रैल में घटकर 41 रह गई.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

क्रिसिल ने सोमवार प्रकाशित एक रिसर्च में कहा, ‘केंद्र सरकार के प्रयासों और अप्रैल में हुई बारिश के कारण कोयले की उपलब्धता बढ़ी है, जो इस गर्मी में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.’

कोयला मंत्रालय के सचिव अमृत लाल मीणा ने दिप्रिंट से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इस साल न केवल कोयले का उत्पादन बढ़ा है, बल्कि कोयला मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय के बीच बेहतर समन्वय से भी काफी सहायता मिली है.

उन्होंने कहा, ‘हम पिछले साल की तुलना में इस साल बहुत अच्छी स्थिति में हैं. थर्मल पावर प्लांट्स के पास 35 मेगाटन (MT) कोयला उपलब्ध है और 65 मीट्रिक टन कोयला खदानों के पिट-हेड्स में जमा है. जो भेजे जाने के लिए तैयार है.’ 

उत्पादन अधिक होने से मिली मदद

क्रिसिल द्वारा प्रकाशित रिसर्च में कहा गया है कि मार्च 2023 में कोयले का उत्पादन साल-दर-साल 12 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 107.8 मीट्रिक टन पहुंच गया. अगर बात अप्रैल 2023 की करें तो साल-दर-साल 8.63 प्रतिशत की वृद्धि से कोयले का उत्पादन हुआ. जबकि इसके विपरीत, पिछले साल मार्च में उत्पादन में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी, और अप्रैल में बिजली की मांग में 14.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

इसके कारण, अप्रैल 2022 के अंत तक थर्मल पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक औसतन आठ दिनों तक गिर गया था.

क्रिसिल ने कहा, ‘कम से कम 96 संयंत्रों ने अपने कोयले के बफर को 25 प्रतिशत मानक जरूरत (पिछले वर्ष) से कम होते देखा है. हालांकि, इस साल आपूर्ति की स्थिति काफी बेहतर रही है.’

नाम न छापने की शर्त पर कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘सरकार द्वारा संचालित देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया द्वारा 31 मार्च 2023 (FY23) को समाप्त वित्तीय वर्ष में 702 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन किया गया, जो पिछले साल के 622 मीट्रिक टन से अधिक है.’

अधिकारी ने आगे कहा, ‘इसके अलावा, कैप्टिव और कमर्शियल कोयला खदानों द्वारा कोयले का उत्पादन भी इसी अवधि में 89 मीट्रिक टन से बढ़कर 115 मीट्रिक टन हो गया.’ 

कोयला मंत्रालय द्वारा 6 अप्रैल को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मार्च 2023 में कोयला उत्पादन 12.03 प्रतिशत बढ़कर 107.84 मीट्रिक टन हो गया, जो पिछले साल मार्च में 96.26 मीट्रिक टन था. कोल इंडिया, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी और कैप्टिव और कमर्शियल माइन्स का उत्पादन भी क्रमशः 4.06 प्रतिशत, 8.53 प्रतिशत और 81.35 प्रतिशत बढ़ा.


यह भी पढ़ें: मजबूत मांग ने सेवा क्षेत्र की गतिविधि को अप्रैल में 13 साल के उच्चतम स्तर पर धकेला


मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय

मीणा के मुताबिक, इस साल कोयले की उपलब्धता बढ़ने की मुख्य वजह मंत्रालयों, जैसे- कोयला, बिजली और रेलवे मंत्रालय के बीच बेहतर तालमेल रहा है.

उन्होंने कहा, ‘बिजली क्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त से अधिक योजना बनाई गई थी.’

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इससे कोयला परिवहन प्रक्रिया को कारगर बनाने में मदद मिली है. अधिकारी ने कहा कि एक सामान्य निगरानी प्रणाली है, जिसके माध्यम से संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों को किसी भी समय एक ही जानकारी तक पहुंच प्राप्त होती है, इस प्रकार यह समन्वय को आसान बनाता है.

वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘पावर प्लांट्स में कोयले की आपूर्ति में ‘पारदर्शिता और बेहतर समन्वय’ के लिए 2019 में एक वेब पोर्टल लॉन्च किया गया था, पिछले एक साल में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है.’

उन्होंने आगे कहा कि यह समन्वय काफी महत्वपूर्ण है, खासकर कोयले की कमी होने के कारण. कोयले के परिवहन के लिए आवश्यक रेलवे रेक की संख्या भी कई बार समस्याओं का कारण बनती है.

अधिकारी ने कहा कि रेल मंत्रालय ने देश भर में कोयले की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मालगाड़ियों की संख्या बढ़ाई है. पिछले साल रेलवे ने कोयले की ढुलाई के लिए औसतन 421 रेक प्रतिदिन लगाए थे. गर्मी के मौसम में इसे बढ़ाकर औसतन 429 रेक प्रतिदिन कर दिया गया है.

क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अप्रैल 2023 में अंतिम उपयोगकर्ताओं को कोयले की कुल ढुलाई 11.6 प्रतिशत बढ़कर 80.35 मीट्रिक टन हो गई. पावर प्लांट्स लिए किए गए डिस्पैच इसी अवधि में 6.6 प्रतिशत से 65.41 मीट्रिक टन थे.’

बेमौसम बारिश से मिली मदद

वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि अप्रैल और मई में भारत के कुछ हिस्सों में हुई बेमौसम बारिश ने कोयले के पर्याप्त भंडार को बनाए रखने में मदद की है क्योंकि वास्तविक कोयले और बिजली की मांग पहले की भविष्यवाणी की तुलना में कम थी.

उन्होंने कहा, ‘इससे अतिरिक्त स्टॉक गर्मियों के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है, जिससे हमें बेहतर स्थिति में रखा जा सकता है.’

क्रिसिल द्वारा इसकी पुष्टि की गई है, जिसमें कहा गया है कि अप्रैल में बिजली की मांग 1.1 प्रतिशत घटकर 133 बिलियन यूनिट (बीयू) रह गई, क्योंकि ‘देश के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश ने अप्रैल 2022 की तुलना में कोयले के स्टॉक को और बढ़ावा दिया’.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: रूस से सस्ते तेल की सप्लाई खतरे में पड़ सकती है क्योंकि भारत भुगतान करने के विकल्पों को तलाश रहा है


 

share & View comments