छत्रपति संभाजीनगर, 23 जून (भाषा) महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में अनियमित बारिश और नमी के वाष्पीकरण से मक्का की फसल को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। एक कृषि अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
मराठवाड़ा जिले छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड, हिंगोली, धाराशिव, लातूर, परभणी और नांदेड़ में इस वर्ष करीब 2,56,650.38 हेक्टेयर भूमि पर मक्का (मकई) की खेती किए जाने का अनुमान है।
कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 19 जून तक 98,891.20 हेक्टेयर में बुवाई पूरी हो चुकी थी।
जिला कृषि अधीक्षक अधिकारी प्रकाश देशमुख ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ वाष्पीकरण से क्षेत्र में मक्का की फसल को लेकर चिंता बढ़ गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मक्का जैसी फसल पर नमी और पानी का असर पड़ सकता है। छत्रपति संभाजीनगर और मराठवाड़ा के अन्य भागों में मक्का की खेती का रकबा बढ़ गया है, जिससे करीब 50,000 हेक्टेयर में कपास की फसल की जगह इसकी खेती की गई है। ’’
देशमुख ने कहा कि क्षेत्र के कुछ इलाकों में नमी कम हो रही है, इसलिए मक्के की फसल पर पानी का संकट मंडरा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ स्थिति चिंताजनक है लेकिन नियंत्रण से बाहर नहीं है। थोड़ी सी बारिश से नमी वापस आ सकती है और फसल को फायदा हो सकता है।’’
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि आठ जिलों वाले मराठवाड़ा क्षेत्र में इस महीने अब तक 31 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
इस क्षेत्र में जून में औसत सामान्य वर्षा 102.7 मिलीमीटर होती है।
अन्य एक अधिकारी ने बताया कि इस महीने अब तक इस क्षेत्र में 70.5 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 158.1 मिलीमीटर बारिश हुई थी।
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