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Sunday, 17 August, 2025
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एथनॉल के पानी के संपर्क से होती है समस्या, पेट्रोल पंप पर भूमिगत टैंक पूरी तरह सील हों: विशेषज्ञ

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(राधा रमण मिश्रा)

नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) एथनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग से वाहनों में ‘माइलेज’ और अन्य समस्याओं को लेकर चर्चा के बीच क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि इस ईंधन के जल में घुलनशील होने की विशेषता के कारण गाड़ियों में दिक्कतें आ सकती हैं। इससे निपटने के लिए अन्य बातों के अलावा पेट्रोल पंप पर स्थित भूमिगत ईंधन टैंक को पूरी तरह से सील करने की जरूरत है।

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर कई वाहन मालिकों ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रित ईंधन को लेकर गाड़ियों को हो रहे नुकसान के बारे में लिखा है। बड़ी संख्या में आये ऐसे पोस्ट में कुछ लोगों ने कहा है कि इसके इस्तेमाल से वाहन के माइलेज में करीब सात प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि कुछ लोगों ने इससे ई-10 वाहनों में रबड़, धातु कलपुर्जों के जल्द खराब होने की आशंका जताई है।

हालंकि पेट्रोलियम मंत्रालय ने इन बातों को सिरे से खारिज करते हुए पिछले सप्ताह बयान में कहा कि गन्ना या मक्का से निकाले गए 20 प्रतिशत एथनॉल और 80 प्रतिशत पेट्रोल के मिश्रण के राष्ट्रीय कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदूषण कम करना और किसानों की आय बढ़ाना है।

ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल ने कहा कि एथनॉल ईंधन का एक अच्छा विकल्प है लेकिन पानी में घुलनशील होने की इसकी विशेषता के कारण गाड़ियों में कुछ समस्याएं आ सकती हैं।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘जितने भी हमारे पेट्रोल पंप हैं, उनमें सब में अंडरग्रांउड टैंक हैं। टैंक में पानी नहीं जाए, उसके लिए उसे बेहतर तरीके से सील करना जरूरी है। पेट्रोल और डीजल टैंक में पानी जाने पर वह नीचे चला जाता है। एथनॉल मिश्रण वाले पेट्रोल में जितना एथनॉल है, अगर उसमें पानी आता है तो वह भी पानी बन जाता है। और अगर यह ईंधन गाड़ियों में जाएगा तो समस्याएं हो सकती है।’’

वाहन बनाने वाली कंपनी टोयोटा किर्लोस्कर मोटर प्राइवेट लि. ने कहा कि एथनॉल की जो विशेषताएं हैं, उसको देखते हुए, ई-20 (20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रित पेट्रोल) के उपयोग से ‘फ्यूल इकनॉमी’ यानी माइलेज में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है। परीक्षण एजेंसियों ने इसकी पुष्टि की है।

इस बारे में वाहन कंपनियों के निकाय सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (सियाम) ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

पेट्रोल के मुकाबले एथनॉल के सस्ता होने से जुड़े एक सवाल के जवाब में बंसल ने कहा, ‘‘कुछ वाहन मालिक एथनॉल मिश्रित पेट्रोल नहीं लेना चाहते। इसके लिए व्यवस्था होनी चाहिए। हम बिना एथनॉल वाला पेट्रोल थोड़ा महंगा बेच सकते हैं और ई-20 ईंधन को कुछ सस्ता बेच सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं एथनॉल का समर्थन करता हूं। मैं एथनॉल मिश्रित पेट्रोल से गाड़ियों को कितना नुकसान होगा, इस बारे में तकनीकी रूप से कुछ नहीं कह सकता और हमारे पास गाड़ियों में समस्या की बात भी नहीं आई है। लेकिन अपने अनुभव से यह कह सकता हूं, एथनॉल के नमी और पानी के संपर्क में आने से समस्या है।’’

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हमने पेट्रोलियम कंपनियों और पेट्रोलियम मंत्रालय के समक्ष पेट्रोल पंप पर बने टैंक को पूरी तरह से सील करने की मांग की है और इस पर काम भी हो रहा है। अभी पांच से सात प्रतिशत पेट्रोल पंप पर संभवत: काम बचा है। पेट्रोलियम कंपनियां इस पर काम कर रही हैं लेकिन इस पर निरंतर ध्यान देने की जरूरत है।’’

गौरतलब है कि एथनॉल ‘हाइग्रोस्कोपिक’ होता है। यानी यह नमी या पानी को सोख सकता है। अगर एथनॉल-मिश्रित ईंधन पानी के संपर्क में आता है, तो ये पूरी तरह से मिल जाते हैं। अगर इंजन में पानी चला जाए, तो वाहन में माइलेज समेत अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने पीटीआई-भाषा के सवाल के जवाब में अपने बयान में कहा ‘‘एथनॉल मिश्रित पेट्रोल का उपयोग भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका कारण एथनॉल-ईंधन पर्यावरण अनुकूल है और ऊर्जा आत्मनिर्भरता में योगदान देता है, किसानों की आय में वृद्धि करता है और उत्सर्जन को कम करने में मददगार है।’’

कंपनी ने कहा, ‘‘एथनॉल की ऊर्जा विशेषताओं को देखते हुए, ई20 के साथ ‘फ्यूल इकनॉमी’ (माइलेज) में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है। परीक्षण एजेंसियों ने इसकी पुष्टि की है। हम देश में स्वच्छ और स्वदेशी ऊर्जा विकल्पों की ओर बदलाव का समर्थन करते हुए ऐसे परिवहन समाधान प्रदान करते रहेंगे जो पर्यावरण अनुकूल और ग्राहक-केंद्रित दोनों हों।’’

भाषा रमण

अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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