नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) एस्सार ऑयल एंड गैस एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन लिमिटेड (ईओजीईपीएल) ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में उसके रानीगंज पूर्वी ब्लॉक से कोल-बेड मीथेन (सीबीएम) गैस का उत्पादन प्रतिदिन आठ लाख घनमीटर को पार कर गया है और अगले 24-30 महीनों में उत्पादन तीन गुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
कंपनी पहले कोल सीम के नीचे पाई जाने वाली गैस सीबीएम को उर्वरक संयंत्रों तक ले जाने के लिए एक पाइपलाइन की कमी का सामना कर रही थी लेकिन गेल इंडिया लिमिटेड की ऊर्जा गंगा ट्रक लाइन शुरू होने के साथ अब वह बाधा भी दूर हो गई है।
ईओजीईपीएल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एवं निदेशक पंकज कालरा ने कहा, ‘‘हमारा उत्पादन घटकर 4.50 लाख घनमीटर प्रति दिन तक आ गया था लेकिन मई, 2021 में यह पाइपलाइन चालू होने के साथ हम उत्पादन में तेजी ला रहे हैं। अब यह 8.25 लाख घनमीटर प्रतिदिन तक पहुंच गया है।’’
उन्होंने कहा कि कंपनी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही है जिससे इस ब्लॉक से गैस उत्पादन सितंबर या अक्टूबर तक 10 लाख घनमीटर प्रतिदिन तक ले जाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पहले ही ब्लॉक में लगभग 5,500 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं और अगले 18-20 महीनों में करीब 200 और कुओं की खुदाई की योजना है। इससे अगले 24-30 महीनों के भीतर हमारा उत्पादन तीन गुना होकर 25 लाख से 30 लाख घनमीटर प्रतिदिन तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।’’
भारत प्राकृतिक गैस की उपलब्धता के पूरक के तौर पर सीबीएम एवं अन्य गैर-परंपरागत संसाधनों के उत्पादन पर जोर दे रहा है। यह बिजली उत्पादन के लिए कच्चे माल, उर्वरक उत्पादन और वाहनों के लिए सीएनजी और घरों तक पाइप से रसोई गैस पहुंचाने में पूरक भूमिका निभा सकती है।
भारत अपनी प्राथमिक ऊर्जा समूह में पर्यावरण-अनुकूल ईंधन की हिस्सेदारी को 6.7 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 15 प्रतिशत तक ले जाना चाहता है।
कालरा ने कहा कि ईओजीईपीएल की रानीगंज पूर्वी ब्लॉक जैसी परियोजनाएं उस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘ईओजीईपीएल ने हमेशा राह दिखाई है और इसने रणनीतिक रूप से भारत में गैर-परंपरागत हाइड्रोकार्बन के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है।’’
अबतक ईओजीईपीएल रानीगंज ब्लॉक में लगभग 350 कुओं का संचालन करती है। सीबीएम के अलावा इस ब्लॉक में शैल गैस का भी करीब आठ लाख करोड़ घन फुट का भंडार होने का अनुमान है। कंपनी अक्टूबर, 2022 और मार्च, 2023 के बीच एक परीक्षण कुएं की खुदाई कर इस गैस की संभावनाएं तलाशेगी।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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