नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन और बिनौला तेल सहित सभी तेल-तिलहन कीमतों में चौतरफा गिरावट देखने को मिली।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में कल चार प्रतिशत की गिरावट थी और अभी इसमें लगभग दो प्रतिशत की गिरावट है। शिकॉगो एक्सचेंज में भी कल लगभग पांच प्रतिशत की गिरावट थी फिलहाल इसमें मामूली सुधार है। विदेशी बाजारों की इस मंदी के कारण स्थानीय खाद्य तेल-तिलहनों के भाव में चौतरफा गिरावट आई है।
सूत्रों ने कहा कि तेल उद्योग, आयातक और किसान इस गिरावट के कारण बेहाल हैं। दूसरी ओर उपभोक्ताओं को गिरावट का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। आयातकों द्वारा आयात को लिए गये बैंकों का कर्ज डूबने के कगार पर है। वैश्विक कीमतों के टूटने के बाद जो तेल उद्योग थोक में कम दाम पर खाद्य तेल बेच रहे हैं, उसे खुदरा में अधिकतम खुदरा मूल्य की आड़ में 40-50 रुपये लीटर ऊंचे भाव पर बेचा जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि इस पर लगाम नहीं लगाने का मतलब है कि देश तेल-तिलहन उत्पादन में कभी आत्मनिर्भर नहीं हो सकेगा क्योंकि सस्ते आयात के आगे किसानों को लाभकारी मूल्य मिलने में कठिनाई होगी और वे आगे तिलहन खेती में दिलचस्पी कम कर देंगे। अक्टूबर में सोयाबीन, मूंगफली और बिनौला फसल की नई खेप आने से पहले सस्ते आयात को रोकने या उसके मुकाबले देशी तेल को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सरकार को कोई कदम उठाना होगा।
सूत्रों ने कहा कि वैश्विक खाद्य तेल कीमतों में गिरावट के अनुरूप पामोलीन तेल का एमआरपी अधिकतम 105-110 रुपये लीटर होना चाहिये पर खुदरा बाजार में इसकी बिक्री लगभग 140-145 रुपये लीटर के भाव हो रही है। इसी प्रकार सरसों तेल का एमआरपी अधिकतम 145-150 रुपये लीटर होना चाहिये पर खुदरा बाजार में यह तेल 170-180 रुपये लीटर तक बिक रहा है। इन खुदरा कारोबार में अधिक कीमत पर फिलहाल रोक लगती नहीं दिख रही है और उपभोक्ता खाद्य तेल कीमतों की गिरावट का समुचित लाभ पाने से वंचित हैं।
इस बीच, सरकार ने सीपीओ और पामोलीन के आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि की है जबकि सोयाबीन डीगम तेल के आयात शुल्क मूल्य में कमी की गई है।
सोयाबीन के डीआयल्ड केक (डीओसी) का आयात 30 सितंबर तक खुला होने से स्थानीय डीओसी की खपत प्रभावित होगी। किसान, सोयाबीन के डीओसी के निर्यात से अतिरिक्त लाभ कमाने की वजह से सोयाबीन की खेती को प्रेरित होते हैं पर सोयाबीन डीओसी आयात खुला होने से किसानों को अपने डीओसी से होने वाले लाभ को लेकर चिंता बनी हुई है।
शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,925-6,975 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 7095-7260 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,300 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,720 – 2,910 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,155-2,245 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,185-2,300 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,150 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,900 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,700 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,300-5,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 5,250- 5,350 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
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