मुंबई, 21 मार्च (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि 677 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ भारत किसी भी चुनौती से निपटने और चालू खाते के घाटे के वित्तपोषण को लेकर बेहतर स्थिति में है।
पिछले तीन साल में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 270 अरब डॉलर बढ़ा है।
दास ने कहा कि ताजा आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार 622 अरब डॉलर है। इसके अलावा 55 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा अनुबंध संपत्ति (फॉरवार्ड एसेट) के रूप में है। यह संपत्ति समय-समय पर हर महीने परिपक्व होगी।
उन्होंने उद्योग मंडल सीआईआई (भारतीय उद्योग परिसंघ) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमारे पास आज की तिथि में 677 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। भारत वैश्विक कारणों से उत्पन्न किसी भी प्रभाव से निपटने या चालू खाते के घाटे के वित्तपोषण के लिये बेहतर स्थिति में है।’’
मुद्रा भंडार किसी भी अर्थव्यवस्था में स्थिरता और भरोसा देता है।
इस सुझाव पर कि मुद्रा भंडार का छोटा सा हिस्सा अर्थव्यवस्था की जरूरतों के वित्तपोषण में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, दास ने कहा कि यह परामर्श उपयुक्त नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिये मुद्रा भंडार का उपयोग उपयुक्त सुझाव नहीं है…। आरबीआई के आकलन के अनुसार भारत को ऐसा नहीं करना चाहिए और इसीलिए हम इसके पक्ष में नहीं हैं।’’
कई प्रमुख देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दर बढ़ाये जाने के प्रभाव बारे में गवर्नर ने कहा कि इसका कुछ असर हो सकता है लेकिन आरबीआई को भारतीय मुद्रा की स्थिरता बनाये रखने का भरोसा है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक की नीति अत्याधिक उतार-चढ़ाव को रोकने के लिये विदेशी विनिमय बाजार में हस्तक्षेप की है।
दास ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है और बाह्य मोर्चे पर भी अच्छा कर रही है।
हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘हम अनिश्चित दुनिया में रहते हैं और आत्मसंतुष्टि के लिये कोई जगह नहीं है। हमें सतर्क रहने की जरूरत है। हमारी इस पर नजर है।’’
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक की कच्चे तेल और जिंसों के दाम में पर कड़ी नजर है।
भाषा
रमण अजय
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