नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सात प्रतिशत या इससे अधिक रहने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा वृद्धि दर को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में ही भारतीय अर्थव्यवस्था 4,000 अरब डॉलर के पार चली जाएगी।
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर अपेक्षा से बेहतर 8.2 प्रतिशत रही। इस साल पेश आर्थिक समीक्षा के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में आर्थिक वृद्धि 6.3 से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी होने के बाद नागेश्वरन ने संवाददाताओं से कहा कि मौजूदा वृद्धि दर को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में ही भारतीय अर्थव्यवस्था 4,000 अरब डॉलर के पार चली जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस साल मार्च के अंत में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3,900 अरब डॉलर था।
सीईए ने कहा, ”चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आठ प्रतिशत वास्तविक जीडीपी वृद्धि हुई है। अब हम पूरी सहजता से कह सकते हैं कि पूरे साल की वृद्धि सात प्रतिशत या उससे ज्यादा रहेगी। सात प्रतिशत से नीचे नहीं।”
दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था ने 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो पिछली छह तिमाहियों में सबसे ज्यादा है और अनुमान से भी बेहतर रही। जीएसटी दरों में कटौती से खपत बढ़ने की उम्मीद में कारखानों के उत्पादन में तेजी आई। इसने कृषि क्षेत्र के सुस्त प्रदर्शन की भरपाई कर दी।
पहली तिमाही में वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत और एक साल पहले इसी तिमाही में 5.6 प्रतिशत थी। दूसरी तिमाही में सेवा क्षेत्र ने दहाई अंकों में वृद्धि दर्ज की। इससे भी मदद मिली।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) की शुरुआत भी मजबूत आधार पर हुई है। ग्रामीण मांग अभी भी मजबूत बनी हुई है, जबकि जीएसटी कटौती के बाद शहरी मांग फिर से रफ्तार पकड़ रही है।
नागेश्वरन ने कहा कि बेहतर मूल्य स्थिति और कर सुधारों से घरेलू आय बढ़ेगी, जिससे निकट भविष्य में खपत को बल मिलेगा। तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) की शुरुआत भी मजबूत आधार पर हुई है।
अप्रैल-अक्टूबर 2025 में कुल जीएसटी संग्रह में नौ प्रतिशत की वृद्धि दिखाती है कि राजस्व प्रवाह मजबूत बना हुआ है। इसमें खपत की मजबूती और अनुपालन में सुधार का योगदान है। कॉरपोरेट क्षेत्र की स्वस्थ बैलेंस शीट से संकेत मिल रहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में निजी निवेश मजबूत बना रहेगा।
नागेश्वरन ने कहा कि स्थिर मुद्रास्फीति, निरंतर सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और सुधारों की गति के मेल से अर्थव्यवस्था जोखिमों से निपटने की स्थिति में है।
भाषा पाण्डेय रमण
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