नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) सरकार ने कुशल श्रमबल की कमी का सामना कर रहे इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को साथ आकर क्षेत्र के लिए कौशल कार्यक्रम चलाने का सुझाव दिया है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अनुराग जैन ने सोमवार को कहा कि कुशल भारत अभियान इस तरह के कार्यक्रमों में सहयोग करेगा क्योंकि उसके पास बड़ा कोष है।
जैन ने यहां 300 अरब डॉलर के सतत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और निर्यात लक्ष्य की रूपरेखा पेश किए जाने पर कहा, ‘‘जब हम इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की बात करते हैं, तो सबसे बड़ा मुद्दा कुशल श्रमबल का सामने आता है। उद्योग साथ आकर अपने के लिए कौशल कार्यक्रम क्यों नहीं तैयार करता है? कुशल भारत के जरिये इसको समर्थन दिया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा कि उद्योग जगत कौशल विकास विश्वविद्यालय स्थापित करने के साथ लोगों को जरूरी प्रशिक्षण दे सकता है।
जैन ने कहा, ‘‘जब हम विदेशी कंपनियों को यहां आकर कारोबार शुरू करने के लिए कहते हैं तो वे यह मुद्दा उठाते हैं कि आपके इंजीनियर रोजगारोन्मुख नहीं हैं। हमें उन्हें प्रशिक्षण देने की जरूरत होगी।’’
कुशल भारत मिशन 15 जुलाई, 2015 को शुरू किया गया था। मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर जैन ने कहा कि भारत सात-आठ एफटीए के लिए बातचीत को तैयार है। अगले एक-डेढ़ साल में ये आएंगे।’’
हालांकि उन्होंने कहा कि उद्योग को वाणिज्य मंत्रालय को उचित और व्यापक जानकारी मुहैया करानी चाहिए जिससे इस तरह की वार्ताओं में मदद मिलेगी।
भाषा अजय प्रेम
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