मुंबई, पांच जून (भाषा) घरेलू स्टेनलेस स्टील की खपत पिछले पांच वर्ष में 84 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 48 लाख टन तक पहुंच गई।
उद्योग संगठन भारतीय स्टेनलेस स्टील विकास संघ (आईएसएसडीए) के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में भारत में स्टेनलेस स्टील की खपत 26.1 लाख टन थी। वित्त वर्ष 2021-22 में यह बढ़कर 34.6 लाख टन हो गई।
आईएसएसडीए के अध्यक्ष राजमणि कृष्णमूर्ति ने ग्लोबल स्टेनलेस-स्टील एक्सपो 2025 (जीएसएसई 2025) में कहा कि यह मांग बुनियादी ढांचे, रेलवे, हवाईअड्डे, मेट्रो आदि क्षेत्रों से प्रेरित है।
आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में मांग सालाना आधार पर 14 प्रतिशत बढ़कर 39.4 लाख टन हो गई थी। 31 मार्च 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में 48 लाख टन तक पहुंचने से पहले 2023-24 में 44.9 लाख टन थी।
कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘मांग मुख्य तौर पर भवन एवं निर्माण, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, रेलवे व परिवहन आदि क्षेत्रों से खपत में मजबूत वृद्धि से प्रेरित रही।’’
भारतीय स्टेनलेस स्टील विकास संघ (आईएसएसडीए) के अनुसार, देश में स्टेनलेस स्टील की मांग के अगले दो से तीन वर्ष में सालाना आधार पर सात से आठ प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
भारत, दुनिया में स्टेनलेस स्टील का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और इसका ‘मेल्ट’ उत्पादन चीन और इंडोनेशिया के बाद दुनिया में तीसरा सबसे ज्यादा है।
स्टेनलेस स्टील के गुणों के बारे में उन्होंने कहा कि यह अपनी मजबूती, शून्य रखरखाव एवं जीवन चक्र लागत के कारण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए सुरक्षित है और इसे पुनर्चक्रित किया जा सकता है।
भाषा निहारिका नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.