नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने निजी इस्तेमाल के लिए (कैप्टिव) स्पेक्ट्रम आवंटन की नीति को अंतिम रूप नहीं देने के लिए दूरसंचार विभाग को फटकार लगाने के साथ ही निजी उपयोगकर्ताओं के लिए स्पेक्ट्रम कीमत की समीक्षा के अभाव पर भी सवाल उठाया है।
कैग ने ‘सरकारी विभागों एवं एजेंसियों को प्रशासनिक आधार पर स्पेक्ट्रम आवंटन’ पर जारी एक रिपोर्ट में दूरसंचार विभाग से कैप्टिव उपयोगकर्ताओं के लिए स्पेक्ट्रम कीमत निर्धारण की व्यवस्था की समीक्षा करने को कहा है। सरकारी विभागों, मंत्रालयों, एजेंसियों को गैर-व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित किए गए थे।
संसद में सोमवार को पेश की गई इस रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि दूरसंचार विभाग विभिन्न स्पेक्ट्रम बैंड के इस्तेमाल एवं विशेषता के आधार पर अलग-अलग मूल्य तय करने के बारे में सोच सकता है।
कैग की रिपोर्ट कहती है कि कैप्टिव उपयोगकर्ताओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन के तरीके पर जुलाई, 2021 में कानूनी राय लेने के बावजूद दूरसंचार विभाग ने निजी उपयोग के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन के बारे में अपनी नीति को अंतिम रूप नहीं दिया। डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) दूरसंचार नीति बनाने वाला शीर्ष निकाय है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दूरसंचार विभाग ने 2012 के बाद से ही कैप्टिव उपयोगकर्ताओं को प्रशासकीय ढंग से स्पेक्ट्रम दिए जाने से जुड़े कीमत निर्धारण फॉर्मूला की समीक्षा नहीं की।
कैग ने सुझाव दिया है कि दूरसंचार विभाग को स्पेक्ट्रम नियोजन, उपलब्धता, आवंटन एवं मूल्य निर्धारण की समय-समय पर समीक्षा के लिए सभी हितधारकों को साथ लेकर एक स्थायी व्यवस्था तैयार करनी चाहिए। इससे देश में स्पेक्ट्रम के कारगर प्रबंधन एवं महत्तम उपयोग के लिए निर्णयों में तेजी आएगी।
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