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आंकड़ों में देरी, बार-बार समीक्षा से मौद्रिक नीति का काम चुनौतीपूर्ण बना: डिप्टी गवर्नर पात्रा

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मुंबई, 24 नवंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने बृहस्पतिवार को कहा कि वर्तमान में मौद्रिक नीति तैयार करना बेहद चूनौतीपूर्ण हो गया है।

उन्होंने कहा कि आजकल के अस्थिर माहौल, आंकड़ों में देरी और उनकी बार-बार समीक्षा ने इस काम को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

पात्रा ने कहा कि दिसंबर के पहले सप्ताह में घोषित की जाने वाली अगली मौद्रिक नीति समीक्षा के लिए विचार-विमर्श शुरू होगा। इस दौरान अक्टूबर के मुद्रास्फीति के आंकड़ों और 30 नवंबर को आने वाले जुलाई-सितंबर के वृद्धि आंकड़ों पर निर्भर रहना होगा।

उन्होंने वार्षिक एसबीआई सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मौद्रिक नीति को दूरदर्शी होना चाहिए। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जब नीति दर में बदलाव किया जाता है, तो इसका असर ऋण दरों और अर्थव्यवस्था में कुल मांग तक पहुंचने में काफी समय लगता है। ऐसे में हम सिर्फ भविष्य की मुद्रास्फीति को लक्षित कर सकते हैं, कल की नहीं।’’

पात्रा ने कहा, ‘‘एक महीने और तीन माह पुराने आंकड़ों के आधार पर, मुझे यह आकलन करना होगा कि मुद्रास्फीति कितनी है और वृद्धि की रफ्तार कैसी रहने वाली है।’’ पात्रा केंद्रीय बैंक में मौद्रिक नीति कार्य की देखरेख करते हैं।

उन्होंने कहा कि यूक्रेन में युद्ध और तेल तथा खाद्य कीमतों में उछाल, ऐसे झटके हैं, जिनका सामना आधिकारिक डेटा जारी होने के बाद मौद्रिक नीति को करना पड़ता है।

पात्रा ने कहा कि इसके अलावा बार-बार समीक्षा का जोखिम भी है और कभी-कभी आंकड़ों में बहुत अधिक बदलाव हो जाता है।

उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘‘अगर एनएसएसओ के पास आंकड़ों को संशोधित करने का अधिकार है, अगर कंपनियां कमाई के आंकड़े बदल सकती हैं, तो मुझे भी सितंबर (अंतिम नीति) की ब्याज दर में बदलाव करने में सक्षम होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि आरबीआई ने हाल में कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन लर्निंग आधारित विश्लेषण शुरू किए हैं, जिसके नतीजे काफी दिलचस्प हैं।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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