मुंबई, आठ जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि और महामारी के दौरान किये गये प्रोत्साहन उपायों को वापस लेने पर ध्यान देने का फैसला मुद्रास्फीति-अर्थिक वृद्धि की ‘उभरती स्थिति’ पर आधारित है।
छह सदस्यीय एमपीसी ने छह से आठ जून को हुई बैठक में आम सहमति से नीतिगत दर 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत करने का निर्णय किया। समिति ने महामारी के दौरान उठाये गये उदार कदमों को भी वापस लेने पर ध्यान देने का निर्णय किया। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि वृद्धि को समर्थन देने के साथ मुद्रास्फीति लक्ष्य के दायरे में रहे।
दास ने कहा कि आरबीआई ने अपने नीतिगत रुख में बदलाव किया है। इसके तहत ‘उदार रुख बरकरार’ रखने की जगह ‘प्रोत्साहन उपाय वापस लेने’ की शब्दावली को शामिल किया गया है ताकि भविष्य के कदमों के बारे में बाजार के लिये चीजें साफ हों।
मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में दास ने कहा, ‘‘हमारा नीतिगत दर बढ़ाने और अन्य उपायों को लेकर निर्णय उभरती मुद्रास्फीति-अर्थिक वृद्धि की स्थिति पर आधारित है।’’
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में निश्चित रूप से कमी आनी चाहिए। साथ ही आर्थिक पुनरुद्धार भी जारी रहना चाहिए।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। जबकि अप्रैल में इसके 5.7 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति अनुमान में 75 प्रतिशत वृद्धि का कारण खाद्य महंगाई दर है।
दास ने कहा कि मुद्रास्फीति के इस अनुमान में आज के उठाये गये कदमों को ध्यान में नहीं रखा गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि जो कदम उठाये गये हैं, उनसे महंगाई कम होगी। हमारा प्रयास मुद्रास्फीति के लक्ष्य के दायरे में लाना है और यह लक्ष्य दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत का है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या आरबीआई नीतिगत दर को लेकर आगे भी आक्रमक रुख अपनाएगा, दास ने कहा, ‘‘हमारा भविष्य में उठाया जाने वाला कदम मुद्रास्फीति-वृद्धि को लेकर उभरती स्थिति पर निर्भर करेगा। हालात तेजी से बदल रहे हैं और नीतिगत दर के बारे में निर्णय इस बात पर निर्भर है कि स्थिति आगे कैसे करवट लेती है।’’
नीतिगत रुख के बारे में उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक अब प्रोत्साहन उपायों को वापस लेने पर गौर कर रहा है।
दास ने कहा कि अगर हम नीतिगत दरों को देखें, तो यह अभी भी महामारी-पूर्व स्तर से कम है। यहां तक कि बाजार में नकदी भी महामारी के पहले के स्तर से अधिक है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में हमारा रुख उदार बना हुआ है, लेकिन अब जोर इसे वापस लेने पर है। मुझे लगता है कि इससे बाजार और अन्य पक्षों के लिये चीजें साफ होंगी।’’
भाषा
रमण अजय पाण्डेय
पाण्डेय
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