नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) डीसीएम श्रीराम इंडस्ट्रीज ‘बहु-उपयोगी’ ड्रोन के विकास और विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रही है जिसका इस्तेमाल रक्षा के साथ ही व्यापक क्षेत्रों में किया जा सकेगा
कंपनी के संयुक्त अध्यक्ष रुद्र श्रीराम ने पीटीआई-भाषा से कहा कि सही समय पर ड्रोन क्षेत्र में कदम रखा गया है और पूरी तरह भारत में विकसित ड्रोन बनाने की तैयारी है।
चीनी, रसायन और औद्योगिक फाइबर के कारोबार में लगी हुई डीसीएम श्रीराम ने पिछले साल तुर्की की ड्रोन कंपनी जाइरोन डायनेमिक्स में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए 10 लाख डॉलर (करीब सात करोड़ रुपये) का निवेश किया था।
श्रीराम ने कहा, ‘‘जाइरोन के लिए भी वहां निर्माण करना महंगा है। ऐसी स्थिति में जाइरोन प्रौद्योगिकी विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकती है और हम बड़े पैमाने पर विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि डीसीएम श्रीराम का दिल्ली में एक शोध और विकास केंद्र है और इसके पास भारत में अपनी इकाइयों में रक्षा ड्रोन बनाने का लाइसेंस है। उन्होंने कहा कि कंपनी को ऑर्डर मिलने के बाद ड्रोन की अपनी निर्माण क्षमता बढ़ाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी ड्रोन परीक्षण के चरण में है। ऐसे में अभी कोई वास्तविक पैमाना नहीं है। अगले कुछ हफ्तों में हम अपने उत्पादों को उचित गुणात्मक परीक्षण के लिए भेजेंगे।’’
उन्होंने कहा कि कंपनी के द्वारा बनाए जा रहे ड्रोन को कृषि उपयोग सहित कई उद्देश्यों के लिए संशोधित किया जा सकता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी को अभी तक भारतीय रक्षा बलों से कोई ऑर्डर नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘सशस्त्र बलों को ऐसे उपकरणों की जरूरत होती है जो वे पारंपरिक सार्वजनिक रक्षा कंपनियों या अन्य कंपनियों से नहीं हासिल कर पाते हैं। इसलिए हमने मानव-रहित हवाई वाहन (यूएवी) जैसे क्षेत्रों को चुना था।’’
हालांकि, उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक ड्रोन क्षेत्र में परिपक्वता आने में अभी वक्त लगेगा और हवाई यातायात प्रबंधन जैसे मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए सरकार को एक समिति बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में वाणिज्यिक ड्रोन क्षेत्र एक बहुत बड़ा बाजार है।
यह पूछे जाने पर कि ड्रोन क्षेत्र में डीसीएम श्रीराम समूह का ध्यान किस पर है, उन्होंने कहा, ’’हमारा ध्यान समूचे क्षेत्र पर है। हमारा ध्यान विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए मंच प्रदान करना है और रक्षा और रणनीतिक उपयोग इसका एक हिस्सा है।’’
भाषा प्रेम अजय
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