नई दिल्ली: क्रिप्टो करेंसी से जुड़े अपराध, जिन्हें आमतौर पर क्रिप्टो क्राइम कहा जाता है, इनके कारण 2025 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था को 30 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है. यह अनुमान एक नई रिपोर्ट में लगाया गया है.
वैश्विक साइबर अर्थव्यवस्था पर केंद्रित अमेरिकी शोध फर्म साइबरस्पेस वेंचर्स की बुधवार को जारी रिपोर्ट में साइबर क्राइम और साइबर सुरक्षा पर तमाम तथ्यों और आंकड़ों का ब्योरा दिया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘डिसेंट्रलाइज फाइनेंस (डीएफआई) सेवाओं के उपयोग में तेजी आने से वैश्विक वित्तीय प्रणालियों के बीच एक नए तरह का जोखिम उत्पन्न हो रहा है जो अपराधियों को क्रिप्टोक्राइम के नए तरीके अपनाने को बढ़ावा दे रहा है. साइबर सिक्योरिटी वेंचर का अनुमान है कि ‘रग पुल’ और अन्य तरह के साइबर हमलों से दुनिया को अकेले 2025 में करीब 30 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है.’
‘रग पुल’ शब्द का इस्तेमाल क्रिप्टो वर्ल्ड में एक घोटाले के संदर्भ में किया जाता है जहां क्रिप्टो टोकन डेवलपर्स अनजान उपयोगकर्ताओं को एक परियोजना में निवेश के लिए प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन फिर इसे बंद कर देते हैं, और निवेशक एकदम खाली हाथ रह जाते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, कुल मिलाकर साइबर क्राइम की वजह से होने वाला नुकसान वैश्विक स्तर पर हर साल 15 प्रतिशत बढ़कर 2025 तक 10.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है, जबकि 2015 में यह 3 ट्रिलियन डॉलर था.
इसमें यह भविष्यवाणी भी की गई है कि कि रैंसमवेयर (एक मैलिसियस सॉफ्टवेयर जो फिरौती चुकाने तक आपके कंप्यूटर तक पहुंच बाधित कर देता है) का इस्तेमाल कर 2031 तक हर दो सेकंड पर किए जाने वाले एक हमले के साथ पीड़ितों को 265 बिलियन डॉलर सालाना का चूना लग सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में रैंसमवेयर से संबंधित नुकसान 20 बिलियन डॉलर आंका गया था और हर 11 सेकंड एक हमला हुआ था.
क्रिप्टो क्राइम में तेजी
रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 तक क्रिप्टो क्राइम के कारण सालाना 30 बिलियन डॉलर के नुकसान का अनुमान है, जो 2021 के 17.5 बिलियन डॉलर के आंकड़े की तुलना में लगभग दोगुना है.
इसमें कहा गया है कि क्रिप्टो क्राइम और इसके कारण चुकाई जाने वाली कीमत आने वाले वर्षों में सालाना 15 प्रतिशत की दर से बढ़ने के आसार हैं.
इसमें कहा गया है, ‘साइबर अपराधी कई तरीकों से क्रिप्टो क्राइम को अंजाम देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.’
इनमें हैकर्स का क्रिप्टो एक्सचेंजों को निशाना बनाने के कई उदाहरण शामिल हैं, क्रिप्टो एक्सचेंज वो वर्चुअल प्लेटफॉर्म होते हैं जहां क्रिप्टोकरेंसी खरीदी और बेची जा सकती है. उदाहरण के तौर पर, जनवरी 2022 में क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म क्रिप्टो डॉट कॉम ने स्वीकार किया कि हैकर्स ने यूजर्स की 30 मिलियन डॉलर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी चुरा ली थी.
अन्य क्रिप्टो क्राइम में मनगढ़ंत तथ्यों के आधार पर जानबूझकर यूजर्स की क्रिप्टोकरेंसी हथिया लेने वाले घोटाले शामिल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अकेले पिछले साल क्रिप्टो घोटालों की बदौलत स्कैमर्स ने पीड़ितों से 7.7 बिलियन डॉलर का चूना लगाया.’ साथ ही कहा गया कि यह 2020 की तुलना में 81 प्रतिशत अधिक है.
यूएस फेडरल ट्रेड कमीशन ने भी कहा था कि 2021 में क्रिप्टो क्राइम के कारण नुकसान पिछले 12 महीनों में दस गुना बढ़ गया.
‘मनीलॉन्ड्रिंग भी क्रिप्टो क्राइम की एक बड़ी वजह’
दिग्गज टेक कंपनी आईबीएम की तरफ से इस साल जुलाई में जारी एक रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया था, ‘डेटा ब्रीच अब तक सबसे शीर्ष स्तर पर पहुंचकर 2022 में औसतन 176 मिलियन (रुपये) रहा है. यह पिछले साल की तुलना में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है.’
आईबीएम की रिपोर्ट ने डेटा ब्रीच के कारण होने वाले नुकसानों को चार श्रेणियों में रखा—लॉस्ट बिजनेस, डिटेक्शन एंड एस्केलेशन, नोटिफिकेशन और पोस्ट-ब्रीच रिस्पांस. इसमें पाया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने पोस्ट ब्रीच रिस्पांस पर 71 मिलियन रुपये (7.1 करोड़ रुपये) का नुकसान उठाया. आईबीएम की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पोस्ट ब्रीच रिस्पांस के कारण होने वाली क्षति 2021 में 67.20 मिलियन रुपये से बढ़कर 2022 में 71 मिलियन रुपये हो गई.’
यद्यपि साइबरस्पेस वेंचर्स की 2022 की रिपोर्ट भारत पर फोकस नहीं करती, ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म पर डेटा मुहैया कराने वाली न्यूयॉर्क स्थित एक कंपनी चैनालिसिस की फरवरी 2021 की रिपोर्ट में भारत से जुड़े एक मामले का उल्लेख है जिससमें क्रिप्टोकरेंसी को कथित तौर पर आतंकवाद को वित्तपोषित करने के लिए उपयोग किया गया.
मार्च 2020 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ओखला से एक कश्मीरी जोड़े—जहांजेब सामी और हिना बशीर बेग को गिरफ्तार किया था. बाद में दोनों पर 2019 और 2020 के बीच कथित तौर पर हथियारों और विस्फोटकों की खरीद के लिए ‘सीरिया में बैठे आईएसआईएस ऑपरेटिव से मिले एक बिटकॉइन एड्रेस पर क्रिप्टोकरेंसी का डोनेशन कराने का आरोप लगाया गया था.
चैनालिसिस की रिपोर्ट इस पर भी जोर देती है कि ‘मनी लॉन्ड्रिंग क्रिप्टो करेंसी आधारित अपराध का एक बड़ा साधन है.’
चैनालिसिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर अपराधी, जो क्रिप्टो करेंसी चुराते हैं या इसे अवैध सामानों के भुगतान के रूप में स्वीकार करते हैं, ‘अपनी क्रिप्टो संपत्ति को बदलने के लिए आश्चर्यजनक रूप से सेवा प्रदाताओं के छोटे समूह पर भरोसा करते हैं.’
इसमें कहा गया है कि इनमें कुछ प्रदाता ‘मनी लॉन्ड्रिंग सेवाओं के विशेषज्ञ हैं, जबकि अन्य केवल बड़ी क्रिप्टो करेंसी सेवाएं और मनी सर्विसेज व्यवसाय (एमएसबी) हैं, जिनके काम करने का कोई ठोस आधार नहीं है.’
इस सबके बीच भारत में अपना आधार बनाने वाले क्रिप्टो एक्सचेंज और क्रिप्टो निवेश ऐप, मसलन क्वाइनडीसीएक्स, क्वाइनस्विच कुबेर और वजीरएक्स के खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के संभावित उल्लंघनों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय की जांच चल रही है.
द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन कथित उल्लंघनों में ‘व्यापार-आधारित मनी लॉन्ड्रिंगट और ‘ई-हवाला’ का उपयोग शामिल है.
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