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Friday, 19 April, 2024
होमदेश'उदयपुर में गोधरा की कहानी दोहराई जा सकती थी'- हिंदू दर्जी की हत्या के बाद तनावभरी शांति

‘उदयपुर में गोधरा की कहानी दोहराई जा सकती थी’- हिंदू दर्जी की हत्या के बाद तनावभरी शांति

दो मुस्लिमों द्वारा कन्हैया लाल तेली की हत्या के बाद, इस पुराने शहर में बहुत से हिंदू व्यापारियों ने अपने काम करने के तौर-तरीकों को बदल दिया है. घटना ने दोनों समुदायों को चोट पहुंचाई लेकिन आशा की किरणें अभी बाकी है.

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उदयपुर: उदयपुर के पुराने शहर के धानमंडी बाजार में सुबह से काफी भीड़-भाड़ है. रक्षाबंधन का त्योहार है. रंगीन राखी, लड्डू और घेवर जैसी मिठाइयों को बेचने की होड़ में लोगों ने अपनी दुकानों को आगे सड़कों तक बढ़ा लिया है. लाल और गुलाबी रंग की साड़ियां पहने महिलाएं गंदे गड्ढों से बचते-बचाते दुकानों पर आ रही हैं. उनकी चमकदार चूड़ियों और पायल की खनक उनकी खुशी की तरह खिलखिला रही है. और फिर वे एक दुकान से दूसरी दुकान पर और सामान खरीदने की चाह में आगे बढ़ जाती है.

लेकिन चंद मीटर की दूरी पर मालदास स्ट्रीट में इस तरह की कोई हलचल नहीं है. यह वो संकरी गली है, जहां 28 जून को सुप्रीम टेलर्स नाम की दुकान के मालिक कन्हैया लाल तेली की दो मुस्लिमों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी. उन्होंने कसाई के चाकू से उसका गला काटा, उसके शरीर को दुकान से बाहर खींचा और गली में छोड़ दिया.

जिन लोगों को बाद में गिरफ्तार किया गया था, उन्होंने कथित तौर पर तेली को एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए दंडित करने के लिए ऐसा किया था. कन्हैया लाल ने कथित तौर पर पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की उस बात का पक्ष लिया था, जिसमें उन्होंने पैगंबर मुहम्मद के बारे में विवादास्पद टिप्पणी की थी. बाद में शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया गया.

घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया. हमले की निंदा करते हुए पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए लेकिन सबसे गहरे घाव उदयपुर में थे.

जहां मुसलमान और हिंदू दशकों तक एक साथ रहते और साथ-साथ काम करते आए थे, वहां अब दोनों समुदाय के बीच अविश्वास और दुश्मनी है– खासतौर से हिंदुओं में.

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The shutters have been drawn on Kanhaiya Lal Teli's shop, Supreme Tailors, where he was murdered on 28 June | Suraj Singh Bisht | ThePrint
कन्हैया लाल तेली की 28 जून को हत्या कर दी गई थी, तब से ही उनकी दुकान बंद है | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

दिप्रिंट से बात करने वाले कई हिंदू दुकानदारों ने कहा कि वे मुस्लिम डीलरों के साथ व्यापार का बहिष्कार कर रहे हैं और जानबूझकर मुसलमानों को रोजगार नहीं दे रहे हैं. कहा यह भी जा रहा है कि कुछ मुस्लिम दुकानदारों ने यहां से काम करना बंद कर दिया है. सामान्य तौर पर दोनों समुदायों को बिजनेस में काफी नुकसान हो रहा है.

कन्हैया के 20 साल के बेटे यश तेली ने कहा, ‘यह बाजार मुख्य रूप से महिलाओं के कपड़े और शादी की खरीददारी के लिए जाना जाता है. लेकिन महिलाएं अब यहां खरीदारी करने से डर रही हैं. दुकानें खुल रही हैं लेकिन अभी ग्राहक बहुत कम हैं. इसका सीधा असर राजस्व पर पड़ा है.’

पुलिस की कड़ी निगरानी के बीच इस महीने की शुरुआत में बिना किसी अप्रिय घटना के जैन त्योहार और मुहर्रम पर शहर से गुजरने वाले जुलूसों के बावजूद, त्योहारों के इस महीने में यहां एक बेचैनी सी छाई हुई नजर आ रही है.

ऐसा लगता है मानो यहां नजर आ रही ‘शांति’, कन्हैया लाल तेली की हत्या के बाद से उदयपुर में जो गहरी सांप्रदायिक फूट पड़ी है, उसे छिपाने की एक कोशिश भर है.


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‘हम अब मुसलमानों के साथ व्यापार नहीं करना चाहते’

हत्या के तुरंत बाद उदयपुर के ओल्ड सिटी में जो गुस्से और सांप्रदायिकता का माहौल देखा गया था, वह बदल गया है. यह इलाका अब शांत तरीके से विरोध के रास्ते की ओर चल पड़ा है.

बिजनेस के लिए जाने जाना वाला साहू समुदाय, जिसके कन्हैया लाल तेली सदस्य थे, हत्या के समय एकजुट हो गया था और उन्होंने शहर में कई मार्च आयोजित किए. फिलहाल वो अपने बिजनेस करने के तरीके को बदलने की बात कह रहा है.

देवेंद्र साहू, वार्ड पार्षद और क्षेत्र के साहू समुदाय संघ के राज्य अध्यक्ष ने बताया, ‘अगर हम चाहते तो इस इलाके में गोधरा (2002 के सांप्रदायिक दंगों) को दोहराया जा सकता था. लेकिन मेवाड़ के लोगों ने स्थिति को नियंत्रित किया. राजाओं के समय से ही उदयपुर में हिंदू और मुसलमान हमेशा एक-दूसरे के साथ संघर्ष किए बिना साथ रहे हैं.’

वार्ड काउंसिलर देवेंद्र साहू | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

मालदास स्ट्रीट में ‘एक साथ रहने’ को फिर से परिभाषित किया गया है, जहां कन्हैया लाल की दुकान अभी भी सील है और इसके बाहर एक पुलिस गार्ड चौबीसों घंटे तैनात रहता है.

उनका यह आपसी मनमुटाव अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है. कई हिंदू दुकानदार का कहना है कि वह अब अपने बिजनेस को अपने धर्म के लोगों तक सीमित रखेंगे. साहू ने बताया, ‘हम अब मुसलमानों के साथ व्यापार नहीं करना चाहते हैं.’

कन्हैया लाल सहित यहां की कई सिलाई की दुकानें मुस्लिम कारीगरों को काम पर रखती थीं लेकिन अब ज्यादातर ने ऐसा करना छोड़ दिया है.

दो दशकों से कन्हैया लाल की दुकान के बगल में अपनी दर्जी की दुकान चला रहे महावीर सेठ ने बताया, ‘मेरी दुकान में एक मुस्लिम कारीगर काम करता था. घटना के बाद से वह काम पर नहीं लौटा है. उसने एक दिन मुझे फोन किया और कहा कि वह वापस नहीं आएगा. मैंने भी उनसे यही कहा कि बेहतर होगा आप कहीं और काम ढूंढ लें. मैं उसे अब और काम पर नहीं रखना चाहता था.’

पास ही में कुछ दुकानों की दीवारों पर लिखे अक्षरों से पता चलता है कि वह मुस्लिम लोगों की हैं. जब दिप्रिंट ने वहां गुरुवार को दौरा किया, तो ये सभी दुकानें बंद मिलीं.

सेठ ने दावा किया कि कुछ मुस्लिमों ने कोविड लॉकडाउन के बाद दुकान बंद कर दी थी, तो कुछ अन्य ने हत्या के बाद अपनी दुकानों पर ताला लगा दिया.

कन्हैया लाल की हत्या के बाद बंद हुई एक दुकान लेक सिटी टेलर थी. जब दिप्रिंट ने मालिक आसिफ से संपर्क किया (अपना अंतिम नाम नहीं बताया था), तो उन्होंने इस बात से इनकार किया कि हत्या का इससे कोई लेना-देना है.

वह कहते हैं, ‘सब कुछ ठीक है. मैं कहीं और दुकान चलाता हूं इसलिए अपनी उस दुकान (मालदास स्ट्रीट पर) को नहीं खोल पा रहा हूं.’


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बदले हुए हालात

मालदास स्ट्रीट से कुछ ही दूर उदयपुर के मल्ला तलाई मोहल्ले के पार्षद हिदायत तुल्ला ने बताया कि हत्या के बाद से गली में कुछ भी अप्रिय नहीं हुआ है लेकिन हर किसी के मन में डर बैठा हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘वह गली अब एक तरह से अशुभ मानी जाती है. अब बहुत कम लोग इससे होकर गुजरते हैं. हालांकि वे इस बात को कभी स्वीकार नहीं करेंगे लेकिन वे थोड़े डरे हुए हैं. मैं खुद उस गली से बचने के लिए एक लंबा रास्ता अपनाता हूं.’

उदयपुर के मल्ला तलाई मोहल्ले के पार्षद हिदायत तुल्ला | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

साहू ने कहा कि बाजार का यह असहज माहौल, जो कुछ हुआ था उसका स्वाभाविक परिणाम है.

वह कहते हैं, ‘सामाजिक और नैतिक बहिष्कार अपने आप हो गया’ सेठ ने भी इस पर अपनी सहमति जताई.

अपने पिता की हत्या के बाद से यश तेली ने अपने सभी मुस्लिम दोस्तों को ब्लॉक कर दिया है. यह परिवार हमेशा से हिंदू-मुस्लिम वाले पड़ोस में रहता आया है. लेकिन उन्हें अब अपनेपन का अहसास नहीं होता. उन्होंने कहा, ‘मेरा मुसलमानों पर से पूरी तरह से भरोसा उठ गया है. मैं उनके साथ कुछ नहीं करना चाहता.’

तेली की मौत के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यश और उनके छोटे भाई, 18 साल के तरुण को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. फिलहाल उदयपुर जिले के कोषाध्यक्ष कार्यालय में उनकी प्लेसमेंट की गई है.

वहीं दूसरी तरफ पड़ोस में रहने वाले मुसलमान भी अपने आपको असहाय महसूस कर रहे हैं.

तुल्ला ने बताया, ‘जो कुछ हुआ, उसके लिए हम अपने हिंदू भाइयों की तरह नाराज़ हैं. लेकिन अपराधियों ने जो किया उसके लिए पूरे समुदाय को सजा नहीं दी जानी चाहिए. हर छोटे से मसले को अब सिर्फ सांप्रदायिक चश्मे से देखा जाता है.’

उनके मुताबिक, फ्रिंज संगठन हिंदू-मुस्लिम के बीच पड़ी दरारों को हवा दे रहे हैं और युवाओं के दिमाग में जहर घोल रहे हैं. उन्हें समझाना मुश्किल हो गया है.


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व्यापार पर पड़ता प्रभाव

कन्हैया लाल की हत्या ने न केवल पुराने शहर के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ दिया है, बल्कि इससे व्यापार भी अस्त-व्यस्त हो गया है. इससे दोनों समुदायों के दुकानदारों को परेशानी हो रही है.

कन्हैया लाल की दुकान से चंद कदम की दूरी पर 18 साल का रमेश कुमार बनिया हुसैनी रेस्टोरेंट में हेल्पर का काम करता है. उसने कहा, ‘उसका कोई भी दोस्त हत्या के बाद मुस्लिम समुदाय के लिए काम नहीं करना चाहता था लेकिन उसने वहीं रहने का फैसला किया.’

बनिया ने कहा, ‘मालिक मेरे साथ अच्छा व्यवहार करता है. घटना के बाद कुछ भी नहीं बदला. लेकिन रेस्टोरेंट प्रभावित हुआ है. अब कम हिंदू ग्राहक आते हैं.’

मुस्लिम मालिक के यहां अभी भी काम कर रहा है रमेश कुमार बनिया | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

रेस्टोरेंट के मालिक महमूद खान ने बताया कि घटना के बाद से उनकी आमदनी में 50 फीसदी की गिरावट आई है. उनके लिए अपने कर्मचारियों को पैसे देने के लिए भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

वह कहते हैं, ‘अब इस बाजार में न तो स्थानीय निवासी आ रहे हैं और न ही पर्यटक. मैं अपने लड़कों को वेतन नहीं दे पा रहा हूं, जबकि वो महीने भर से ज्यादा समय से मेरे साथ काम कर रहे हैं. यहां की लगभग सभी दुकानों का यही हाल है.’

यश तेली ने भी कहा कि पहले की तुलना में कम ही लोग दुकान पर आ रहे हैं और कम खर्च कर रहे हैं.

वह कहते हैं, ‘त्योहारों के समय भी दुकानों पर ज्यादा ग्राहक नहीं आए. यह बाजार महिलाओं के कपड़ों और गहनों के लिए काफी लोकप्रिय है. लेकिन लोग सिर्फ कीमतों के बारे में पूछते हैं और आगे बढ़ जाते हैं. कोई भी अब चीजें खरीदने नहीं आता है.’


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‘उदयपुर में कभी खत्म नहीं हो सकती मानवता’

दिप्रिंट ने देखा कि पुराने शहर की गलियां, जहां कन्हैया लाल की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन हुए थे, वो अब उत्सव के रंगों से जगमगा रही थीं.

पिछले हफ्ते जैन संत भगवान पार्श्वनाथ जुलूस शांतिपूर्वक निकाला गया था और मंगलवार को मुहर्रम पर मुसलमान उन्हीं गलियों में निकले थे.

पुलिस बाजार के व्यस्त चौराहों पर पहरा दे रही है ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना न हो और त्योहारों के इस मौसम में कड़वा मोड़ न आए.

धानमंडी पुलिस स्टेशन के एसएचओ गोपाल चंदर ने कहा, ‘कुछ दिनों में हम कन्हैया की दुकान के बाहर तैनात सुरक्षा को भी हटा देंगे. शहर अब सामान्य हो गया है और पुलिस कड़ी नजर रख रही है.’

सांप्रदायिक सौहार्द के दिल को छू लेने वाले पल ने भी मूड कुछ हद तक बदल दिया है.

पुराने शहर की गलियों में यह कहानी फैली है कि अपनी बालकनियों से मुहर्रम का जुलूस देख रहे कुछ हिंदुओं ने कैसे ताजिया (पैगंबर मुहम्मद के पोते की कब्र की प्रतिकृति) में एक छोटी सी आग बुझा दी. एक हिंदू महिला ने मदद करने के लिए अपनी साड़ी भी दी थी.

कई लोगों का कहना है कि यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कैसे दोनों समुदायों के बीच प्रेम और सद्भाव अभी भी मौजूद है.

मालदास बाजार में एक दुकान चलाने वाले सद्दाम हुसैन ने बताया, ‘अगले दिन, मुसलमानों का एक समूह उनसे (एक हिंदू महिला) मिलने गया और उन्हें माला पहनाई.’ उन्होंने कहा, ‘उदयपुर में मानवता कभी खत्म नहीं हो सकती.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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