मुंबई, दो अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा है कि केंद्रीय बैंक जोखिमों को कम करने के लिए लगातार निगरानी रखेगा क्योंकि बेलगाम ऋण वृद्धि वित्तीय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
राव ने हाल ही में यहां आयोजित ‘भारत निवेश शिखर सम्मेलन’ के दौरान कहा कि आरबीआई की कोशिश हमेशा एक उचित नियामक और निगरानी ढांचे के साथ मजबूत और जुझारू वित्तीय मध्यस्थता प्रणाली को बढ़ावा देने की है।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार में वित्तीय क्षेत्र के लिए बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं। उनमें वित्तीय फर्मों की पहुंच बढ़ाने, ग्राहकों के लिए उत्पाद की पेशकश और सुविधाओं की सीमा बढ़ाने, अभी तक दायरे से बाहर रहे क्षेत्रों तक वित्त का विस्तार करने की अपार संभावनाएं हैं।
डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘‘इसके साथ ही हमें उन संभावनाओं के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है कि वित्तीय-प्रौद्योगिकी फर्मों सहित वित्तीय सेवा क्षेत्र में आई नई कंपनियां वित्तीय सेवा प्रदाताओं का समूचे स्वरूप को बदल सकती हैं।’
उन्होंने कहा कि इससे बाजार की सघनता और प्रतिस्पर्धा का स्तर प्रभावित हो सकता है और नई चुनौतियां भी पैदा हो सकती हैं।
उन्होंने चक्रीय-समर्थक उधारी से जुड़े जोखिमों पर कहा कि बेलगाम ऋण वृद्धि और क्रेडिट अनुशासन में किसी भी तरह की ढिलाई संबंधित वित्तीय इकाई के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकती है और इसके व्यापक होने पर प्रणालीगत चिंताएं भी पैदा हो सकती हैं।
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