नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, सेबी प्रमुख एवं आर्थिक मामलों के सचिव के ताजा बयानों को लेकर बृहस्पतिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नीचे की आधी आबादी के हाथों में पैसा और गरीबों की थाली में भोजन पहुंचाए बिना अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं किया जा सकता.
पूर्व वित्त मंत्री ने ट्वीट किया, ‘क्या यह पेचीदा बात नहीं है कि आरबीआई के गवर्नर, सेबी के अध्यक्ष और आर्थिक मामलों के सचिव एक ही विषय पर, एक ही दिन बोलते हैं? इन तीनों ने अर्थव्यवस्था पर बात करने की कोशिश की है.’
चिदंबरम ने तंज कसते हुए कहा कि काश! अर्थव्यवस्था एक सर्कस का शेर होता जो रिंगमास्टर की छड़ी के हिसाब से चलता.
उनके मुताबिक, जब तक सरकार नीचे के आधे परिवारों के हाथों में पैसा नहीं देती है और गरीबों की थाली में खाना नहीं पहुंचाती है, तब तक अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं होगा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्रालय को टैग करते हुए कहा, ‘‘जो मैं कह रहा हूं, उस पर यदि आपको संदेह है तो बस आप बिहार के मतदाताओं की आवाज़ सुनें. उनके पास कोई काम नहीं या पर्याप्त काम नहीं है, कोई आमदनी नहीं या थोड़ी आय है और फिलहाल उनकी सोच जीवित बचे रहने पर केंद्रित है, खर्च करने पर नहीं.’’ गौरतलब है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख अजय त्यागी और आर्थिक मामलों के सचिव तरूण बजाज ने बुधवार को अलग अलग मौकों पर अर्थव्यवस्था के संदर्भ में बयान दिए.
दास ने कहा कि सरकार और केंद्रीय बैंक की उदार एवं अनुकूल मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों के चलते भारत आर्थिक पुनरूत्थान की देहली पर खड़ा है.
त्यागी ने कहा कि महामारी के झटके के बाद पूंजी बाजारों में व्यापक आधार पर सुधार हुआ है. शेयर बाजारों में तेजी तथा सुस्त अर्थव्यवस्था के बीच ‘किसी तरह का तालमेल’ नहीं होने की आलोचनाओं के बीच सेबी प्रमुख का यह बयान आया.
बजाज ने कहा कि कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये सरकार आगे और प्रोत्साहन उपाय करने को तैयार है. साथ ही उन्होंने बताया कि नई सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम नीति पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल जल्द ही विचार करेगा.