नयी दिल्ली, चार जनवरी (भाषा) केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) ने आपात परिस्थितियों में बिजली आपूर्ति के लिये उच्च परिचालन लागत को लेकर आयातित कोयला आधारित बिजलीघरों को क्षतिपूर्ति देने का फैसला किया है।
सीईआरसी के इस आदेश से उन आयातित कोयला आधारित बिजलीघरों के परिचालकों को राहत मिलेगी, जिन्होंने मांग को पूरा करने के लिये बिजली मंत्रालय के निर्देशों के तहत पूर्ण क्षमता पर काम किया।
सीईआरसी ने तीन जनवरी, 2023 को दिये आदेश में कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता विद्युत अधिनियम की धारा 11(1) के तहत बिजली मंत्रालय के निर्देशों के अनुपालन में खरीदार को आपूर्ति के लिये बिजली उत्पन्न करने को लेकर अपने संयंत्र का रखरखाव और संचालन करते रहे, यह सुनिश्चित करने के लिये अधिनियम की धारा 11 (2) के तहत याचिकाकर्ता को लागत और उपयुक्त लाभ हेतु क्षतिपूर्ति की जरूरत है।’’
सीईआरसी ने टाटा पावर कंपनी लि. की अर्जी पर यह आदेश दिया है।
मंत्रालय ने पांच मई, 2022 को विद्युत अधिनियम की धारा 11 के तहत आयातित कोयला आधारित बिजलीघरों को पूर्ण क्षमता पर काम करने और बिजली उत्पादन करने का निर्देश दिया था।
मंत्रालय ने निर्देश दिया था कि बिजलीघरों को संबंधित पीपीए (बिजली खरीद समझौते) के तहत खरीदारों को पहले बिजली की आपूर्ति करने की आवश्यकता है और कोई अतिरिक्त बिजली है, तो उसे बिजली एक्सचेंज में बेचा जा सकता है।
निर्देश में कहा गया था कि ऐसे मामलों में जहां बिजलीघरों के पास कई वितरण कंपनियों के साथ पीपीए है और यदि एक वितरण कंपनी अपने पीपीए के अनुसार बिजली की मात्रा का निर्धारण नहीं करती है, तो वह बिजली अन्य लाभार्थियों को दी जाएगी और शेष मात्रा बिजली एक्सचेंज के माध्यम से बेची जाएगी।
टाटा पावर ने बयान में सीईआरसी के आदेश का स्वागत किया है। उसने कहा कि विद्युत अधिनियम की धारा 11 के तहत आपातकालीन स्थिति में आपूर्ति के तहत आयातित कोयला आधारित बिजलीघरों को कोयले की लागत और परिचालन खर्च के एवज में क्षतिपूर्ति की अनुमति देने का सीईआरसी का फैसला सराहनीय है।
भाषा रमण अजय
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