कोलकाता, 19 सितंबर (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को आगाह किया कि भारत के टिकाऊ विकास एवं जलवायु लक्ष्यों की राह पर चलने से उसकी आर्थिक आकांक्षाएं कमजोर नहीं पड़नी चाहिए।
इसके साथ ही नागेश्वरन ने ऊर्जा बदलाव, राजकोषीय स्थिरता और बैंकिंग सुदृढ़ता के बीच ‘बेहद अहम एवं मुश्किल संतुलन’ की जरूरत पर भी बल दिया।
उन्होंने ‘बंगाल चैंबर एजीएम और इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक कॉन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए कहा कि भारत जी-20 देशों में उत्सर्जन कटौती के मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को जलवायु लक्ष्यों पर प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
नागेश्वरन ने कहा, ‘‘वर्ष 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था की आकांक्षा रखने वाले देश को ऊर्जा उपयोग में बदलाव और जलवायु परिवर्तन से निपटने के क्रम में स्थायी अल्पविकास की स्थिति में नहीं धकेला जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि पेरिस जलवायु सम्मेलन से पहले तय किए गए टिकाऊ विकास लक्ष्यों को अस्थायी रूप से जलवायु लक्ष्यों पर अहमियत दी जानी चाहिए।
नागेश्वरन ने कहा कि आय बढ़ने के साथ भारत की ऊर्जा खपत में वृद्धि होगी। फिलहाल सरकार पेट्रोल, डीजल और कोयला उपकर से करीब 7.5 लाख करोड़ रुपये जुटाती है। ऐसे में जीवाश्म ईंधन को तेजी से हटाने से राजस्व पर असर पड़ेगा और ताप विद्युत संयंत्रों को समय से पहले बंद करने से बैंकिंग प्रणाली पर भी दबाव बढ़ सकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को सौर एवं पवन ऊर्जा से आगे बढ़कर पनबिजली और परमाणु ऊर्जा पर ध्यान देना चाहिए। वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में निजी क्षेत्र के लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र खोला गया है और नागरिक परमाणु दायित्व कानून में संशोधन का प्रस्ताव है।
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