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Sunday, 24 August, 2025
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सीआईआई ने ‘विकसित भारत’ के लिए पेश किया सुधारों का खाका

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नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) उद्योग मंडल सीआईआई ने रविवार को भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सुधार का एक खाका पेश किया है। इसमें सरलीकृत जीएसटी संरचना, गैर-रणनीतिक सावजनिक उपक्रमों का निजीकरण, युक्ति संगत शुल्क संरचना, विवादों के शीघ्र समाधान, राष्ट्रीय रोजगार और गिग अर्थव्यवस्था नीतियों पर जोर दिया गया है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने अपनी रिपोर्ट ”प्रतिस्पर्धी भारत के लिए नीतियां” में 14 महत्वपूर्ण सुधार क्षेत्रों में 250 से अधिक सिफारिशें की हैं।

इसमें कहा गया कि उद्योग जगत के प्रमुखों, अर्थशास्त्रियों और नीति विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श के जरिये विकसित यह खाका सरकार के विकसित भारत के नजरिये के अनुरूप है।

सीआईआई के अध्यक्ष राजीव मेमानी ने कहा, ”ये सिफारिशें सरकार के सुधारों के साथ निकटता से जुड़ी हैं और प्रधानमंत्री के साहसिक एवं रूपांतरकारी बदलाव के आह्वान का समर्थन करती हैं। एक जीवंत दस्तावेज के रूप में एक प्रतिस्पर्धी भारत के लिए नीतियां लगातार विकसित होती रहेंगी और नीति निर्माताओं के समर्थन में नए विचार लेकर आएंगी।”

सुधार के क्षेत्रों में राजकोषीय सूझबूझ, मुद्रास्फीति प्रबंधन और आधुनिक सांख्यिकीय प्रणालियां, गैर-रणनीतिक सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण, एक संप्रभु धन कोष का निर्माण, छोटे उल्लंघनों का गैर-अपराधीकरण, समयबद्ध अनुमोदन, एकल-खिड़की मंजूरी और दूसरी पीढ़ी के आईबीसी सुधार, सुव्यवस्थित श्रम संहिताएं, न्यूनतम वेतन रूपरेखा और त्वरित विवाद समाधान शामिल हैं।

उद्योग मंडल ने ऊर्जा नीति सुधारों की भी सिफारिश की है, जिनमें प्रतिस्पर्धी शुल्क, क्रॉस-सब्सिडी यानी एक की कीमत पर दूसरे को सब्सिडी की व्यवस्था समाप्त करने, मजबूत पारेषण नेटवर्क, परमाणु ऊर्जा में निजी भागीदारी और हरित हाइड्रोजन खाका शामिल हैं।

इसके अलावा, रिपोर्ट में विस्तारित वाणिज्यिक अदालतों, मध्यस्थता परिषदों और मजबूत न्यायाधिकरण के माध्यम से विवादों के त्वरित समाधान का भी सुझाव दिया गया है।

सीआईआई के पूर्व अध्यक्ष और जवाबी शुल्क पर कार्यबल के चेयरमैन संजीव बजाज ने कहा, ‘जैसे-जैसे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है, उसे अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए इस सुधार एजेंडे में और तेजी लानी होगी। मुक्त व्यापार समझौतों के नए अवसर खुलने और दुनिया भर में भारत की आर्थिक गतिविधियों के विस्तार के साथ, भारतीय उद्योग को सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार रहना चाहिए।’

भाषा पाण्डेय रमण

रमण

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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