scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशअर्थजगतएयर इंडिया की 18000 करोड़ रुपए की बिक्री के लिए केंद्र ने टाटा संस के साथ समझौता किया

एयर इंडिया की 18000 करोड़ रुपए की बिक्री के लिए केंद्र ने टाटा संस के साथ समझौता किया

11 अक्टूबर को टाटा समूह को एक एलओआई जारी किया गया था जिसमें लिखा था कि सरकार एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की इच्छा रखती है.

Text Size:

नई दिल्ली: सरकार ने टाटा संस के साथ राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया की बिक्री के लिए सोमवार को 18,000 करोड़ रुपए के एक शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

इस महीने की शुरुआत में सरकार ने टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की इकाई टैलेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 2,700 करोड़ रुपए का नकद भुगतान करने और एयरलाइन के कुल कर्ज के 15,300 करोड़ रुपए से ज्यादा की जिम्मेदारी लेने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था.

उसके बाद 11 अक्टूबर को टाटा समूह को एक आशय पत्र (एलओआई) जारी किया गया था जिसमें पुष्टि की गई थी कि सरकार एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की इच्छा रखती है.

निवेश और डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने ट्विटर पर लिखा, ‘एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के लिए सरकार ने आज टाटा संस के साथ शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

एयर इंडिया के निदेशक (वित्त) विनोद हेजमादी, नागर विमानन मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येंद्र मिश्रा और टाटा समूह के सुप्रप्रकाश मुखोपाध्याय ने शेयर खरीद समझौते (एसपीए) पर हस्ताक्षर किए.

टाटा संस को दिसंबर के आखिर तक एयरलाइन का वास्तविक नियंत्रण अपने हाथों में लेने से पहले अब भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) समेत विभिन्न नियामक संस्थाओं से मंजूरी लेनी होगी.

 

सरकार एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के अपने 100 प्रतिशत स्वामित्व की बिक्री के साथ ही एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग इकाई एआईएसएटीएस में एयर इंडिया की 50 प्रतिशत हिस्सेदारा का भी विनिवेश कर रही है.

टाटा ने सस्ती सेवाएं देने वाली एयरलाइन स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह के नेतृत्व वाले गठजोड़ द्वारा 15,100 करोड़ रुपए की पेशकश और घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए सरकार द्वारा निर्धारित 12,906 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य से ऊपर बोली लगाकर संकटग्रस्त एयरलाइन के अधिग्रहण की रेस जीत ली थी.

इस साल 31 अगस्त तक एयर इंडिया पर कुल 61,562 करोड़ रुपए का कर्ज था. सौदे के तहत इस कर्ज का 75 प्रतिशत या 46,262 करोड़ रुपए एक विशेष इकाई एयर इंडिया एसेट होल्डिंग्स प्राइवेट लि. (एआईएएचएल) को ट्रांसफर किया जाएगा. उसके बाद ही टाटा समूह को घाटे में चल रही एयरलाइन का नियंत्रण दिया जाएगा.

टाटा को एयर इंडिया की दिल्ली स्थित वसंत विहार हाउसिंग कॉलोनी, मुंबई के नरीमन पॉइंट में स्थित एयर इंडिया बिल्डिंग और नई दिल्ली में एयर इंडिया बिल्डिंग जैसी गैर-मूल संपत्तियों का नियंत्रण अपने पास कायम रखने की अनुमति नहीं होगी.

टाटा को मिलने वाले एयर इंडिया के 141 विमानों में से 42 पट्टे पर लिए गए विमान हैं जबकि बाकी 99 एयर इंडिया के खुद के विमान हैं.

पांडेय ने इससे पहले कहा था, ‘अभी एयरलाइन को रोजाना 20 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है. टाटा के पास एयरलाइन जाने के बाद करदाताओं को इसका बोझ नहीं उठाना होगा.’


यह भी पढ़ें: एयर इंडिया विनिवेश मामले में वित्तीय बोलियों को स्वीकृति की खबरें गलत, फैसले की देंगे जानकारी: GoI


 

share & View comments