नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) इस्पात सचिव संदीप पौंड्रिक ने बुधवार को कहा कि यूरोपीय संघ का कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) इस क्षेत्र में भारतीय निर्यात को प्रभावित करेगा और उद्योग को इस ‘चिंता’ को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे।
सीबीएएम को कम पर्यावरणीय नियमों वाले देशों से आयात पर कार्बन मूल्य लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें शुरुआत में लोहा और इस्पात, एल्युमीनियम, सीमेंट, उर्वरक, बिजली और हाइड्रोजन शामिल हैं। इसके 2026 में पूरी तरह से लागू होने की उम्मीद है।
यह शुल्क यूरोपीय संघ उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ईयू-ईटीएस) में कार्बन मूल्य से जुड़ा है, जिसे 2026 में 5,200 रुपये प्रति टन सीओ2 समतुल्य माना गया है, जिसमें यूरोपीय संघ में मुक्त अनुमतियों के समाप्त होने के साथ पांच प्रतिशत वार्षिक वृद्धि होगी।
राष्ट्रीय राजधानी में ‘एफटी लाइव एनर्जी ट्रांजिशन समिट इंडिया’ के एक सत्र में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीबीएएम में प्रस्तावित कार्बन उत्सर्जन की सीमाएं निश्चित रूप से निर्यात को प्रभावित करेंगी।
उन्होंने कहा कि भारतीय इस्पात उद्योग अब भी मुख्य रूप से ब्लास्ट फर्नेस (बीएफ-बीओएफ) मार्ग का उपयोग कर रहा है, जहां प्रदूषण या उत्सर्जन अधिक होता है। वास्तव में, जो नई क्षमताएं जोड़ी जा रही हैं, वे अब भी बीएफ-बीओएफ मार्ग पर ही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, यह उद्योग के लिए चिंता का विषय है। इलेक्ट्रिक ब्लास्ट फर्नेस मार्ग में क्षमताएं जोड़ी जा रही हैं या मौजूद हैं, जो कम कार्बन उत्सर्जन करती हैं। लेकिन, सीबीएएम यूरोप को भारतीय निर्यात को प्रभावित करेगा, और भारतीय उद्योग को इससे निपटने के लिए उपाय करने होंगे।’’
बाद में पीटीआई-भाषा से बात करते हुए पौंड्रिक ने कहा कि लगभग 45 लाख टन के कुल निर्यात में से दो-तिहाई यूरोप को जाता है।
उनकी यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार इस्पात उत्पादन और उसके निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उद्योग पर दबाव डाल रही है।
वर्तमान परिदृश्य में, दुनियाभर के विभिन्न देश शुल्क या विनियमों के रूप में अपने बाजारों की रक्षा कर रहे हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, घरेलू इस्पात क्षेत्र भारत के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 12 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसकी उत्सर्जन तीव्रता प्रति टन कच्चे इस्पात पर 2.55 टन सीओ2 है, जो वैश्विक औसत 1.9 टन सीओ2 से अधिक है।
पिछले साल, इस्पात मंत्रालय ने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हरित इस्पात की परिभाषा प्रस्तुत की थी।
मंत्रालय के वर्गीकरण के अनुसार, हरित इस्पात को इस्पात के पर्यावरण अनुकूल होने के प्रतिशत के संदर्भ में परिभाषित किया जाएगा। यह ऐसे इस्पात संयंत्र से उत्पादित होता है जिसकी सीओ2 समतुल्य उत्सर्जन तीव्रता प्रति टन तैयार इस्पात पर 2.2 टन सीओ2 से कम हो।
यदि एक टन तैयार इस्पात के उत्पादन में 1.6 टन सीओ2 या उससे कम उत्सर्जित होता है, तो उसे 5-स्टार हरित-रेटिंग वाला इस्पात माना जाएगा।
इसी तरह 1.6-2 टन की सीमा में उत्सर्जन पर, उत्पाद को 4-स्टार रेटिंग दी जाएगी, जबकि 2-2.2 टन उत्सर्जन वाले उत्पादों को 3-स्टार रेटिंग दी जाएगी।
भाषा अजय अजय
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