नई दिल्ली: ब्रिटेन की ऊर्जा कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी ने पिछली तिथि से कर लगाने से पैदा हुए विवाद के निपटारे के लिए भारत सरकार की पेशकश स्वीकार करने के बाद फ्रांस और ब्रिटेन समेत कई देशों में स्थित भारतीय संपत्तियों को जब्त करने की मांग करने वाले मुकदमे वापस लेने पर सहमति जताई है.
केयर्न एनर्जी ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि पूर्व तिथि से कर लगाने की व्यवस्था खत्म करने से संबंधित नए कानून की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने भारत सरकार को यह भरोसा दिया है कि वह दुनिया के किसी भी हिस्से में चल रहे कानूनी मामलों को वापस लेने के साथ ही वह भविष्य में भी कोई दावा नहीं दाखिल करेगी.
अब भारत सरकार को केयर्न की यह पेशकश स्वीकार करनी है. इसके साथ ही उसे केयर्न को ‘फॉर्म-2’ भी जारी करना होगा जिसमें वह पूर्व प्रभाव से लागू कर के एवज में वसूली गई राशि लौटाने की प्रतिबद्धता जतानी है. फॉर्म-2 जारी होने के बाद केयर्न अपने सारे मुकदमे वापस ले लेगी और भारत सरकार उसे करीब 7,900 करोड़ रुपये का राशि लौटाएगी.
केयर्न के मुताबिक, अगर आयकर विभाग के प्रमुख आयुक्त नियम 11यूई(1) के तहत फॉर्म 1 में की गई उसकी प्रतिबद्धता नकार देते हैं या नियम 11यूएफ(3) के तहत दिए गए वापसी की सूचना नहीं मंजूर करते हैं या रिफंड करने से मना कर देते हैं तो उसकी तरफ से दी गई वचनबद्धता को समाप्त समझा जाएगा. उसका कहना है कि जमा कर रिफंड होने और नया कानून आने के बाद ही विदेशी निवेशकों की नजर में यह पेशकश कारगर होगी.
केयर्न ने अपने बयान में कहा है कि उसने कराधान कानून संशोधन विधेयक 2021 के तहत जारी योजना में शामिल होने के लिए भारत सरकार के साथ सहमति जताई है जिससे उसे भारत में कंपनी से वसूली गई कर राशि के रिफंड का रास्ता साफ होगा.
भारत सरकार ने एक आकर्षक निवेश गंतव्य के तौर पर अपनी छवि को सुधारने के लिए गत अगस्त में यह नया कानून बनाया था. इसके बाद केयर्न और वोडाफोन समेत कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों से पिछली तिथि से कर के एवज में 1.1 लाख करोड़ रुपये की देनदारी खत्म कर दी जाएगी.
इन कंपनियों से अब निरस्त हो चुके कर प्रावधान के तहत वसूले गए 8,100 करोड़ रुपये मुकदमे वापस लेने की स्थिति में उन्हें वापस करने की बात कही गई है. इसमें से 7,900 करोड़ रुपये अकेले केयर्न एनर्जी के ही हैं.
आयकर विभाग को 2012 के आदेश के तहत उन कंपनियों से 50 साल पहले की भी तारीख से कर वसूलने का अधिकार दिया गया था जिनके मालिकाना हक में बदलाव भले ही विदेश में हुआ हो लेकिन उनकी कारोबारी परिसंपत्तियां भारत में मौजूद हों.
केयर्न ने कहा है कि वह रिफंड प्रक्रिया को तेज करने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है. रिफंड मिलने के बाद कंपनी पूर्व में घोषित विशेष लाभांश का अगले साल भुगतान करेगी.